लोगों को मारने और जलाने का था आरोप, सबूत नहीं, कोर्ट ने 22 आरोपियों को किया बरी

Gujarat Riots: आप को बतादे की यह खबर गुजरात की है और यह केस 18 साल से चल रहा था यह केस 28 फरवरी 2002 को दर्ज किया गया था, इस केस में यह आरोप लगाया गया था कि यह लोग लोगो को मार कर न्हें जला कर फेक देते थे लेकिन आज सत्र न्यायाधीश हर्ष त्रिवेदी की अदालत में इस केस पर एक बड़ा फैसला लिया है जाने काया है वह फैसला….

Gujarat Riots: गुजरात (Gujarat) की एक अदालत ने 24 जनवरी को अल्पसंख्यक समुदाय के 17 लोगों की हत्या के मामले में 22 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया. यह मामला कोर्ट में लगभग 18 साल तक चला, जोकि 2002 में हुए गोधरा कांड से जुड़ा है. आरोपियों पर दो बच्चे समेत अल्पसंख्यक समुदाय के 17 लोगों को मारने का आरोप था. 28 फरवरी 2002 में इन लोगों की हत्या की गई थी और सबूत मिटाने के लिए इनकी लाशें भी जला दी गई थीं.
बचाव पक्ष के वकील गोपाल सिंह सोलंकी ने बताया कि अपर सत्र न्यायाधीश हर्ष त्रिवेदी की अदालत ने मंगलवार को सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया. इनमें से आठ आरोपियों की मामले की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी। उन्होंने कहा कि यह फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि मामले में कोई सबूत नहीं था। दरअसल, 7 फरवरी 2002 को पंचमहल जिले के गोधरा कस्बे के पास भीड़ ने साबरमती एक्सप्रेस के एक कोच में आग लगा दी थी. इसके बाद ही दंगे भड़क उठे थे।
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आरोपी को 2004 में गिरफ्तार किया गया था
28 फरवरी को राज्य में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे। इन दंगों में कुल 59 यात्री मारे गए थे। डेलोल गांव में हुई हिंसा के बाद हत्या और दंगे से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। एक दूसरे पुलिस निरीक्षक ने घटना के लगभग दो साल बाद 2004 में एक नया मामला दर्ज किया और दंगों में कथित रूप से शामिल होने के आरोप में 22 लोगों को गिरफ्तार किया।
गवाह ने भी कोर्ट में इनकार कर दिया
वकील सोलंकी ने कहा कि मामले में आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं जुटाए गए और गवाहों ने भी अदालत में पेश होने से इनकार कर दिया. बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि पीड़ितों के शव कभी नहीं मिले। पुलिस ने एक नदी के किनारे एक सुनसान जगह से हड्डियां बरामद कीं, लेकिन वे इस हद तक जली हुई थीं कि उनकी पहचान नहीं हो सकी।
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