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करोड़पति बनने के बाद बेटे ने पत्नी के लिए मां को घर से निकाला, खून खौला देगा पूरा किस्सा

Heart Breaking Emotional Story: रविवार को मदर्स डे था, इसे मांओं के लिए खास दिन के रूप में मनाया जाता है. हालांकि मां के लिए कोई दिन नहीं होता। हर दिन मां के लिए है। फिर भी चलन के अनुसार लोग अपनी मां के साथ सेल्फी ले रहे हैं और उन्हें अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट कर रहे हैं और अपनी मां के प्रति अपने प्यार का इजहार कर रहे हैं। तो एक मां ऐसी भी है जिसने सौतेली बेटी होते हुए भी अपने 11 महीने के बेटे को गोद में उठाकर ऊंचे ओहदे पर पहुंचा दिया। आज उसी बेटे की बेरुखी से उस मां को अपना पेट पालने के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं।

बेटा अपनी मां से धुलवाता था पत्नी के कपड़े

मामला चित्तौड़गढ़ का है, यहां प्रताप नगर की रहने वाली कमला देवी ने बताया कि साल 1987 में उनका विवाह गोवर्धन लाल के साथ हुआ था. दोनों के कोई पुत्र नहीं होने के कारण उन्होंने 11 महीने का बच्चा गोद लिया. कमला देवी ने जिस बच्चे को नाजों से पाल-पोस कर बड़ा किया, आज वह 22 साल का हो गया और उसकी शादी करवाई. कमला देवी का बेटा बड़ा आदमी बन गया है और 3 से 4 करोड़ों की प्रॉपर्टी का मालिक है, तो उसने पत्नी के लिए अपनी बुजुर्ग मां को परेशान करना शुरू कर दिया. बेटा अपनी मां से पत्नी के कपड़े धुलवाता था, पत्नी के हाथ पैरों की मालिश करवाता था और मां के सामने शर्त रख दी कि घर में रहना हो तो बहू को खुश रखना होगा.

गहने-कीमती सामान छीनकर धक्के देकर निकाला बाहर

इतने में भी बेटे का दिल नही पसीजा तो उसने मां के गहने, कीमती सामान आदि छीन लिए और उसे धक्के मार कर घर से बाहर निकाल दिया. कमला देवी ने इस पूरे कृत्य में अपने पति गोवर्धनलाल के शामिल होने का आरोप लगाया है. बेटे और पति की ओर से बहिष्कृत करने के बाद अब कमला देवी दर-दर की ठाकरे खाने को मजबूर हो गई, और छोटी-मोटी मजदूरी कर अपना पेट पाल रही है. बुजुर्ग महिला का कहना है उनसे कई बार इस कदर बेरहमी से मारपीट की गई कि उसे हॉस्पिटल में एडमिट करवाना पड़ा. मारपीट की वजह से उनके हाथ पैर सही से काम नहीं करते.

पुलिस से लगाई गुहार तो कोई भी नहीं हुई सुनवाई

वहीं कमलाबाई का यहां तक कहना है कि परिवार की प्रताड़ना झेलने के बाद उसने कई बार लोकल पुलिस थाने में जाकर न्याय की गुहार लगाई लेकिन पति-बेटे ने पैसे के दम पर पुलिस को खरीद लिया, और उनकी सुनवाई नहीं हुई. अब पिछले 2 सालों से वो चित्तौड़गढ़ की गलियों में मजदूरी कर रही है, और दूसरी महिलाओं की मदद से जीवन गुजार रही है. वहीं, चित्तौड़गढ़ की एक सामाजिक कार्यकर्ता सुनीता शर्मा को जब बुजर्ग महिला की आपबीती के बारे में पता चला तो वह बुजर्ग महिला की मदद करने के लिए आगे आई और महिला को उनके अधिकार दिलवाने के प्रयास कर रही है.

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