OMG : महिला के दिमाग में भर गया पानी,फूलकर हुआ गेंदा इतना बड़ा,देखिए

आपने तमाम बीमारियों के बारे में सुना होगा, लेकिन यकीन मानिए यह अजीब है। एक 29 वर्षीय महिला के सिर में लगातार सूजन रहती है। कुछ ही समय में यह आकार में तीन गुना हो गया था और एक एलियन की तरह अजीब लग रहा था। इस दुर्लभ संक्रमण के कारण अंधापन भी हो गया। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह जानलेवा स्थिति है और हजारों बच्चों में से किसी एक को ही यह बीमारी होती है। अगर पैदा होते हैं, तो आधे बच्चे 3 साल की उम्र से पहले मर जाते हैं। इसे हाइड्रोसिफ़लस कहा जाता है। और समय पर इलाज न होने पर जान भी जा सकती है।
ब्राजील की ग्राज़ीली अल्वेस रेगीस (Graziely Alves Régis) इसी दुर्लभ संक्रमण की शिकार हैं. वर्षों से बेड पर ही पड़ी रहती हैं. बात करना भी उनके लिए मुश्किल है. हाल ही में उनकी आंखों की रोशनी चली गई क्योंकि उनका सिर लगातार बढ़ रहा है. दरअसल, ग्राजीली को जन्मजात यह बीमारी है. पैदा होने से पहले ही उसके मस्तिष्क के चारों ओर एक तरल पदार्थ जमा होने लगा था. सीधी भाषा में कहें तो दिमाग में पानी भरने लगा था. यहां पानी का मतलब सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड (CSF)है. यह आपके मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के आस-पास एक स्पष्ट रंगहीन तरल पदार्थ होता है.
आखिर क्यों होती है ये बीमारी
आमतौर पर सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड दिमाग में पोषक तत्व भेजने और गंदे पदार्थ हटाने के काम में लगा रहता है. साथ ही, दिमाग के आसपास सफाई रखता है, नसों-हड्डियों को चोट से बचाता है. आपका शरीर रोज इसका निर्माण करता है, लेकिन कई बार यह अवशोषित नहीं हो पाता और इकट्ठा होने लगता है., जैसा इस महिला के साथ हुआ. इससे आंतरिक उत्तकों को नुकसान पहुंच सकता है. खोपड़ी का आकार विकृत हो सकता है. अगर इसका दबाव इतना ज्यादा हो कि हृदय और फेफड़ों के लिए काम करने वाले टिशू को नुकसान पहुंचाने लगे तो जान भी चली जाती है. इतना ही नहीं, यह दिमाग को सही तरह काम करने से रोकता है.
गर्भ में ही पैदा हुई यह समस्या
ग्राजीली की मां एडलगिसा सोरेस अल्वेस ने कहा, जब मैं 8 महीने की प्रेग्नेंट थी, तभी मुझे गर्भ में काफी तेज दर्द महसूस हुआ, तभी मुझे पता चल गया कि कुछ गलत हो रहा है. डॉक्टरों ने चेक किया तो पता चला कि बेटी को हाइड्रोसिफलस नामक बीमारी है. तब डॉक्टरों ने कहा था कि यह ज्यादा से ज्यादा 3 महीने तक ही जीवित रहेगी.बेटी जब पैदा हुई तो उसके सिर का आकार इतना बड़ा था उसे विशाल शिशु करार दिया गया. उम्र के साथ यह और बड़ा होता गया.सर्जरी के जरिए इसका इलाज किया जा सकता है लेकिन ग्राजीली के लिए यह संभव नहीं हुआ. ग्राजीली को बोतल से दूध देना होता है. पाइप से खाना खिलाया जाता है. मां दिनभर उसकी देखभाल में लगी रहती हैं. उन्होंने अपनी नौकरी से इस्तीफा तक दे दिया है. उन्होंने कहा-मैं सिर्फ उसकी मुस्कान देखकर जिंदा हो जाती हूं.
जानिए क्या है इस बीमारी का लक्षण
डॉक्टरों के मुताबिक, ज्यादातर मामलों में इस बीमारी की वजह जेनेटिक है. सिर में चोट, स्ट्रोक, ब्रेन स्पाइनल कोड ट्यूमर और मेनिनजाइटिस या दिमाग या रीढ़ की हड्डी के अन्य संक्रमण भी यह बीमारी हो सकती है. इससे मस्तिष्क में पानी की मात्रा काफी बढ़ जाती है. शुरुआत में सिरदर्द, मतली,उल्टी, आंखों की समस्या, थकान महसूस होना,संतुलन और समन्वय बनाने में समस्या,अल्पकालिक स्मृति हानि, चलने में समस्या, डिमेंशिया और मूत्राशय से जुड़ी समस्या हो सकती है. बीमारी से पीड़ित बच्चा बार-बार उल्टी करता है. उसकी आंखें बाहर आने लगती हैं. माथे की हड्डियां तेजी से फैलने लगती है. जन्म के 3 साल के अंदर यह 90 फीसदी से ज्यादा बड़ा हो जाता है. ऐसे में बच्चा कभी-कभी कोमा में भी चला जाता है.
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