
भारतीय इतिहास में सबसे शिक्षित मुगल शासक कौन था? इस प्रश्न का उत्तर बहुत भिन्न हो सकता है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि मुगल काल की शिक्षा व्यवस्था पर नजर डालें तो पता चलता है कि उस समय मुख्यतः तीन प्रकार की उपाधियाँ दी जाती थीं। तर्क और दर्शन के विद्यार्थी फाजिल, धार्मिक अध्ययन के विद्यार्थी आमिल और साहित्य के विद्यार्थी काबिल कहलाते थे।
अगर विद्वान और शिक्षित होने का सवाल है, तो पहला मुगल शासक बाबर साहित्यिक अभिरुचि का व्यक्ति था और उसके पास फारसी, अरबी और तुर्की भाषा का सही ज्ञान था. शेर शाह सूरी, जिन्होंने हुमायूँ के निर्वासन में रहते हुए भारत पर शासन किया था, वह भी शिक्षा और शिक्षा के महान संरक्षक थे.उन्होंने नारनौल में एक मदरसा की स्थापना की जो शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र बन गया.वह पहले मुस्लिम शासक थे जिन्होंने सामान्य मुसलमानों की शिक्षा के लिए भी प्रावधान किया.
हालांकि मुगल काल के सुप्रसिद्ध शासक अकबर के बारे में माना जाता है कि वो शिक्षित नहीं थे. उनको पढ़ना नहीं आता था. लेकिन जहाँगीर फारसी पर कमान रखता था और तुर्की भाषा को भी जानता था. शाहजहाँ भी एक शिक्षित व्यक्ति था, उन्हें अरबी, फारसी और संस्कृत जैसी भाषाओं में महारत हासिल थी.
मुगल शासक
उनके पुत्र दारा शिकोह एक महान विद्वान थे. उन्हें अरबी, फारसी और संस्कृत जैसी भाषाओं में महारत हासिल थी, उन्हें विद्वानों ने भारत के लिए सबसे दुर्लभ साहित्यिक गहने के रूप में वर्णित किया है. संस्कृत सीखने के लिए जब मुगल शहजादा दारा शिकोह पंडित रामनंदपति त्रिपाठी के यहां पहुंचे. संस्कृत सीखकर उन्होंने उपनिषद, गीता और योग वशिष्ठ का फारसी अनुवाद किया अंतिम महान मुगल सम्राट औरंगजेब भी शिक्षित था और उसे शिक्षा से प्यार था. हालाँकि, उन्होंने अधिकांश धन मुस्लिम विषयों की शिक्षा के लिए खर्च किया.
शिक्षा के स्तर को मापने का वैसे तो मुगल काल में कोई मानक नहीं था. लेकिन यदि शिक्षित और विद्वान की बात करें, तो दारा शिकोह बहुत विद्वान तथा अनेंक भाषाओं का ज्ञाता था. मुगल शासक बाबर भी शिक्षा के मामले में बहुत विद्वान था.
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