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Mughal Harem: बादशाह अकबर की अय्याशी के लिए इस तरह से चुनी जाती थी मुगल हरम की महिलाएं

मुग़ल हरेम: आपको बता दें कि बार बार मुगल बादशाह अकबर की अय्याशी की किस्सा छिप जाता है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि अकबर के हरम में करीब 5 हजार महिलाएं थीं। वो इन्हें कैसे चुनता था इसका जिक्र भी इतिहास की किताब में है। तब ये कानून था कि अगर कोई महिला पसंद बादशाह को पसंद आ जाती थी तो उस महिला को मुगल हरम से बादशाह के द्वारा चुना गया था, आज के इस लेख में हम आपको मोह कि मुगल हरम की 5000 महिलाओं में से बादशाह अकबर के द्वारा महिलाओं को किस तरह चुना गया था, तो आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से पूरी जानकारी-

मुगल हरम में कैसे शामिल की जाती थीं महिलाएं?

मुगल बादशाह अकबर के हरम में कलीब 5 हजार महिलाएं थी. ये उसकी 300 पत्नियों और रखैलों से अलग थीं. हालांकि, जहांगीरनामा में अकबर की सिर्फ 35 पत्नियों का जिक्र है. जान लें कि मुगल बादशाहों को मुगल हरम हमेशा से लोगों के बीच कौतूहल का विषय रहा है. ये भी जानना दिलचस्प है कि अकबर ने हजारों की संख्या में महिलाओं को अपने हरम में कैसे शामिल किया था. इससे जुड़ा भी एक किस्सा अब्दुल कादिर बदायुनी की किताब में है|

विरोध से बचने का निकाला ये आइडिया-

बताया जाता है कि एक बार अकबर मथुरा के पास जंगलों में शिकार का आनंद ले रहा था. तभी उसे खबर मिली कि दिल्ली में कुछ लोगों ने उपद्रव किया है. फिर इससे निपटने के लिए अकबर को दिल्ली कूच करना पड़ा. हालांकि, बीच में उसने आगरा में भी कुछ दिन बिताए. इस दौरान अकबर के मन में विचार आया कि वह निकाह के जरिए आगरा और दिल्ली के रईसों को अपने साथ जोड़ सकता है. यह आइडिया उसने अपने सरदार के सामने भी रखा जो उसे भी पसंद आया।

जब अकबर के फरमान से रईसों पर टूटा कहर-

इसके बाद मुगल बादशाह अकबर ने अपने कारिदों को बुलाया जिसमें ट्रांसजेंडर शामिल थे. उनसे कहा कि शहर के रईसों के हरम में जाओ और उनकी बेटियों को चुनो. देखों कि कौन-कौन है जो मेरे शाही हरम में रहने के लायक है. इसके अलावा बादशाह ने कई लड़कियों के पिता को बादशाह ने खुद पैगाम भी भिजवाया. बताया जाता है कि अकबर के इस फरमान से शहर आतंकित था. रईसों के लिए ये खबर बुरे सपने जैसी थी लेकिन कोई बादशाह का विरोध करता तो कैसे करता।

विवाहित महिला पर अकबर की बुरी नजर !

इसी दौरान अकबर जब एक दिन सुबह की सैर से लौट रहा था तब उसके ध्यान में रहने वाले सरदार बादाह की बहू पर लगे। वो बला की खुबसूरत थी। अकबर ने उसे देखते ही तय कर लिया कि वह उससे निकाह करेगा। फिर अकबर ने शेखाह के पास अपनी बहू से शादी का पैगाम बिजवाया। ये काम होते ही शेख और उनका बेटा सदमे में आ गया। लेकिन फिर मजबूरी में शेख के बेटे को अपनी पत्नी को तलाक देना पड़ा। कहते हैं कि उसके बाद उस महिला का अकबर से निकाह हुआ और मुगल हरम में उसे शामिल कर लिया गया। लेकिन बाद में उसका कहीं भी जिक्र नहीं मिला। वो कहीं गुम सी हो गई।

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