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अष्टमी और नवमी में कर रहें कन्याओं की पूजा तो इन चीजों का आवश्य रखें ख्याल,जानें पूरी खबर

Navratri Kanya Pujan 2023: नवरात्रि (Navratri) का त्योहार बहुत ही हर्षोल्लाह से मनाया जाता है, यह एक हिंदुओं का बहुत बड़ा पर्व है, नवरात्रि में मां दुर्गा  (Maa Durga) की पूजा की जाती है,और यह शुभ त्यौहार है, अष्टमी और नवमी की तिथियां को कन्या पूजन किया जाता है, माना जाता है कि कन्या पूजा के बिना नवरात्रि का व्रत अधूरा माना जाता है-

 

अष्टमी और नवमी में कर रहें कन्याओं की पूजा तो इन चीजों का आवश्य रखें ख्याल,जानें पूरी खबर
गूगल फोटो

अष्टमी तिथि का शुभ मुहूर्त

अष्टमी तिथि यानी 22 अक्टूबर 2023 को सुबह 7:51 बजे से दोपहर 12:55 बजे तक कन्या पूजन का शुभ समय रहेगा। कन्या पूजन दोपहर 1:50 बजे से 2:55 बजे तक भी किया जा सकता है।

नवमी तिथि का शुभ समय

नवमी तिथि यानि 23 अक्टूबर 2023 को सुबह 6:27 बजे से 7:51 बजे तक कन्या पूजन का शुभ समय बन रहा है। इस दिन सुबह 9:16 बजे से 10:41 बजे तक कन्या पूजन का शुभ समय है।

इन बातों पर विशेष ध्यान दें

कन्या पूजन के लिए नवरात्रि की अष्टमी-नवमी तिथि का विशेष महत्व है। ऐसा करने से मां दुर्गा पूरे साल अपने भक्तों पर अपनी कृपा बनाए रखती हैं और उन्हें सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। आइए जानते हैं कन्या पूजन से जुड़े कुछ खास नियमों के बारे में.

9 कन्याओं को बुलाएँ

नवरात्रि में कन्या पूजन के लिए 2 से 9 वर्ष तक की नौ कन्याओं को आमंत्रित करना चाहिए, अगर यह संभव न हो तो कम से कम 2 कन्याओं को भोजन कराना चाहिए। एक बच्चे को भी खिलाएं. बालक को बटुक भैरव और लांगुरा के रूप में पूजा जाता है।

कन्याओं का स्वागत

लड़कियों को घर आते ही सबसे पहले उनके पैर धोने चाहिए और उन्हें साफ आसन पर बिठाना चाहिए। इसके बाद कन्याओं को रोली-कुमकुम से तिलक करना चाहिए और हाथों में मौली बांधनी चाहिए। इसके बाद कन्याओं और बालकों की आरती उतारें और उन्हें भोजन खिलाएं।

सात्विक भोजन कराएँ

कन्या पूजन के लिए सात्विक भोजन बनाएं. इस दिन आप मां दुर्गा पूजा और कन्या पूजन के लिए खीर, चना, हलवा, पूड़ी आदि बना सकते हैं. कन्या पूजन में यदि आप भोजन में लहसुन-प्याज का प्रयोग करना भूल भी जाएं तो ध्यान रखें।

कन्याओं की विदाई

कन्या पूजन के बाद सभी लड़के-लड़कियों को अपनी क्षमता के अनुसार कपड़े, खिलौने, फल, नारियल, मिठाई और दक्षिणा दें और उनका आशीर्वाद लेकर उन्हें विदा करें। ऐसा करने से माता रानी प्रसन्न होती हैं।

डिस्क्लेमर

हम यह दावा नहीं करते कि इस लेख में दी गई जानकारी पूरी तरह सत्य और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

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