Dussehra 2023: क्यों जलाया जाता है रावण के पुतले को? जानें

Dussehra 2023: दशहरा (Dussehra) हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों (Festivals) में से एक है, इस पूरे भारत में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है, यह हर साल अश्विनी माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है, पौराणिक कथाओं के अनुसार त्रेता युग (Treta Yuga) में इसी दिन प्रभु श्री राम ने लंकापति रावण (Ravana) का वध किया था,यह पर्व बुराई पर अच्छाई के जीत की वजह से मनाया जाता है,तो आइये जानते है क्यों रावण के पुतले का दहन किया जाता है-
रावण बुराई का प्रतीक है
हिंदू धर्म में रावण को बुराई का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है। रावण अस्त्र-शस्त्र विद्या में पारंगत होने के साथ-साथ एक बुद्धिमान व्यक्ति भी था। यही कारण है कि भगवान राम ने रावण का वध करने के बाद अपने भाई लक्ष्मण को राजनीति सीखने के लिए उनके पास भेजा था। इतना बुद्धिमान होने के बावजूद रावण की सबसे बड़ी कमजोरी उसका अहंकार था। रावण अपने अहंकार के कारण गलतियाँ करता रहा और अपने ही अंत का कारण बना। यही कारण है कि रावण को बुराई का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है।
आसान नहीं था रावण को मारना
रावण को अपनी ताकत पर बहुत घमंड था। वह विश्व विजेता बनना चाहता था। इसके लिए उन्होंने भगवान ब्रह्मा से अमरता का वरदान मांगा। लेकिन ब्रह्मा जी ने यह कहकर मना कर दिया कि मृत्यु निश्चित है। इस पर रावण ने वरदान माँगा कि मेरी मृत्यु मनुष्य और वानर के अलावा किसी के हाथ से न हो। रावण को यह अहंकार था कि मेरी शक्ति से देवता भी डरते हैं तो साधारण मनुष्य और वानर मेरा क्या हाल करेंगे? इसी कारण भगवान विष्णु ने रावण का वध करने के लिए एक सामान्य मनुष्य के रूप में अवतार लिया। जब भगवान राम ने एक साधारण इंसान की तरह रावण का वध किया, तो यह संदेश दिया कि बुराई चाहे कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंत में जीत अच्छाई की ही होती है। यही कारण है कि बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में हर साल रावण का पुतला जलाया जाता है।
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