Mughal History: मुग़लों के कारण गुलाम बना भारत, जानें

Mughal History: इतिहास में वैसे तो कई घटना है, लेकिन आज आपको बतायेगे भारत को गुलाम बनाने की कहानी, की अग्रेजों ने कैसे मुग़ल काल में भारत को गुलाम बनानें की नीव रखी, 415 साल पहले इतिहास में एक ऐसी घटना घटी थी, जिसके कारण भारत गुलामी की जंजीरों में जकड़ गया था। यह वही दिन है जब ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) का पहला जहाज हेक्टर (Hector) भारत पहुंचा था। इस जहाज के कप्तान विलियम हॉकिन्स (William Hawkins) थे। वही हॉकिन्स जो पांच साल तक मुगलों का गुलाम रहा और भारत की जड़ें अंदर-ही-अंदर खोदता रहा। तो आइये हम जानते है पूरा इतिहास-
24 अगस्त, 1608 को ईस्ट इंडिया कंपनी का पहला जहाज हेक्टर भारत के सूरत बंदरगाह पर पहुंचा। उस समय सूरत समुद्री व्यापार का एक प्रमुख केंद्र हुआ करता था। मुगल भी इसी तट से दूसरे देशों के साथ व्यापार करते थे। ईस्ट इंडिया कंपनी यहां एक कंपनी स्थापित करना चाहती थी, लेकिन मुगल सम्राट की अनुमति के बिना यह संभव नहीं था।
जब उनकी मुलाक़ात मुग़ल बादशाह से हुई
यह वह समय था जब मुगल साम्राज्य की बागडोर जहांगीर के हाथों में थी, 1600 में ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना के बाद राजदूत ने कई बार मुगल दरबार में उपस्थित होकर भारत के साथ व्यापार करने का अधिकार मांगा था। इसके बाद कंपनी के पहले जहाज हेक्टर को भारत आने की इजाजत मिल गई. हॉकिन्स अपने साथ इंग्लैंड के तत्कालीन राजा जेम्स प्रथम का एक पत्र लाया था, जिसे जहाँगीर को दिया जाना था। भारत पहुँचकर वह सीधे जहाँगीर से मिलने गये।
जहाँगीर के दरबार में दास प्रथा
विलियम हॉकिन्स को अंग्रेजी के साथ-साथ तुर्की और फारसी का भी अच्छा ज्ञान था। जब उनकी मुलाकात जहांगीर से हुई तो वे बहुत प्रभावित हुए. हिस्ट्री ऑफ मुगल इंडिया नामक पुस्तक के अनुसार जहांगीर ने विलियम हॉकिन्स को दरबार में रोका। हॉकिन्स द्वारा लिखित पुस्तक के अनुसार जहाँगीर ने उसे 400 घुड़सवारों का मनसबदार बनाया था। जहाँगीर मुगल शासन में हॉकिन्स के प्रदर्शन से इतना प्रसन्न हुआ कि उसने हॉकिन्स को खान की उपाधि दी और अपने दरबार की एक अर्मेनियाई ईसाई लड़की से उसकी शादी कर दी।
मुगलों को गुलाम बनाने की साजिश
हॉकिन्स लगातार पांच वर्षों तक मुगल सम्राट जहांगीर का गुलाम रहा, लेकिन अंदर ही अंदर वह ईस्ट इंडिया कंपनी की पहली फैक्ट्री स्थापित करने की साजिश रच रहा था और अनुमति ले रहा था। इसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी ने 11 जनवरी 1913 को सूरत में अपनी पहली फैक्ट्री खोली। जिसने भारत को और गुलाम बना लिया. कंपनी का कारखाना खुलने के बाद हॉकिन्स इंग्लैंड लौट आये।
कंपनी रजाई-गद्दे बनाती थी
ईस्ट इंडिया कंपनी की पहली फैक्ट्री सूरत में खोली गई, जहां रजाई-गद्दे बनाए जाते थे। मुगल बादशाह जहांगीर ने इस फैक्ट्री के लिए अनुमति दे दी थी, हालांकि मुगलों द्वारा कंपनी पर कुछ नियम और शर्तें लगाई गई थीं।
इस प्रकार ब्रिटिश सेना ने भारत में प्रवेश किया
जब ईस्ट इंडिया कंपनी के पहले जहाज हेक्टर ने भारत में कदम रखा, तो पुर्तगाली और डच पहले ही भारत का दौरा कर चुके थे। मुगल दरबार में भी उनका अच्छा प्रभाव था, लेकिन जब हॉकिन्स से कारखाने के लिए अनुमति ली गई तो पुर्तगालियों और डचों के हाथ से यह निकल गई। जहाँगीर से भी उनके रिश्ते खराब हो गये। इसके बाद 1616 में अंग्रेज राजदूत सर थॉमस रो भारत आए, जिन्होंने नूरजहाँ और खुर्रम को कई उपहार देकर प्रसन्न किया और फिर जहाँगीर से कंपनी की सेना भारत लाने की अनुमति ली।
हिस्ट्री ऑफ मुगल इंडिया पुस्तक के अनुसार, थॉमस रो ने तर्क दिया कि पुर्तगालियों के साथ संघर्ष से बचने के लिए उन्हें सुरक्षा की आवश्यकता है। इसके लिए वे केवल मुगल सेना पर निर्भर नहीं रह सकते। इस फरमान के बाद ब्रिटिश सेना भारत में प्रवेश कर गयी और धीरे-धीरे कंपनी ने अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया।
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