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नई दिल्ली (ईएमएस)। विश्व आर्थिक मंच (WEF) ने लाल सागर संघर्ष को लेकर चेतावनी जारी की है। मंच के अध्यक्ष बोर्गे ब्रेंडे ने कहा कि यमन के हौथी विद्रोहियों द्वारा व्यापारिक जहाजों पर बार-बार किए जा रहे हमलों के कारण लाल सागर में जारी तनाव का वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला (global supply chain) परnegative impact पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इससे भारत जैसे oil importing countries के लिए तेल की कीमतों में 10-20 डॉलर की बढ़ोतरी हो सकती है।
इसकी अर्थव्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ रहें हैं। मीडिया को दिए एक विशेष साक्षात्कार में, ब्रेंडे ने कहा कि स्वेज नहर के बंद होने से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को नुकसान होगा और उम्मीद है कि क्षेत्र में हौथी हमले बहुत जल्द बंद हो जाएंगे। उन्होंने यह टिप्पणी विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की वार्षिक बैठक के 54वां संस्करण के आज स्विट्जरलैंड के सुरम्य शहर दावोस में शुरू होने के दौरान की। ब्रेंडे ने इस बात पर जोर दिया कि व्यापार वृद्धि पिछले साल 3.4 प्रतिशत की तुलना में घटकर 0.8 प्रतिशत रह गई। हालाँकि, उन्होंने आशा व्यक्त की कि लाल सागर संकट के बीच इस वर्ष वैश्विक व्यापार में थोड़ा उछाल जरूर आएगा।
उन्होंने कहा कि अगर हम लाल सागर को बंद कर देते हैं तो इस पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने में ज्यादा समय नहीं लगता है। तथ्य यह है कि स्वेज नहर को हफ्तों के लिए बंद करने से भी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इसलिए, बहुत कुछ दांव पर है। उन्होंने कहा कि हम यह भी जानते हैं कि इसका तेल की कीमतों पर प्रभाव पड़ता है और उदाहरण के लिए, भारत जैसे बड़े तेल आयातक देशों पर, जहां तेल की कीमतों में 10-20 डॉलर की वृद्धि का अर्थव्यवस्था पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इसलिए मुझे उम्मीद है कि यह आगे नहीं बढ़ेगा और कुछ दिनों में लाल सागर में शिपिंग सामान्य रूप से फिर से शुरू हो सकती है।
बोर्डे ने भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में कहा कि इस साल इसके 8 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि हमें लगता है कि आने वाले दशक में, हम कम से कम आने वाले दो दशकों में 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के बारे में बात कर सकते हैं। भारत की विकास गाथा की सराहना करते हुए डब्ल्यूईएफ प्रमुख ने कहा कि देश डिजिटल अर्थव्यवस्था में बाकी अर्थव्यवस्था की तुलना में दोगुनी तेजी से बढ़ रहा है। यह भारत के लिए एक बहुत ही अच्छी जगह है। लेकिन, निश्चित रूप से भारत में सुधार जारी रहना चाहिए। शिक्षा, वित्त पोषण और इससे निपटने के लिए व्यवस्थाओं से संबंधित सुधार जारी रहने चाहिए।