सिंगरौली कलेक्ट्रेट में जनसुनवाई में एक ग़रीब ने अपने हैंडपंप के लिए गुहार लगाई।

By News Desk

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सिंगरौली कलेक्ट्रेट में जनसुनवाई में एक ग़रीब ने अपने हैंडपंप के लिए गुहार लगाई।

 

 

SINGRAULI MP :       कलेक्ट्रेट  (Collectorate) की जनसुनवाई  (public hearing) में इस बार सबसे गहरी आवाज़ पानी  (deep sound water) की नहीं, प्यास की थी। रामसुमन साकेत अपनी अर्ज़ी (application)  लेकर पहुँचे और बोले, “साहब, मेरा हैंडपंप  (hand pump) तो किसी और के आँगन में ही चला गया।” जनसुनवाई में मौजूद अधिकारियों (officials)  को यह मज़ाक लगा, लेकिन जब उन्होंने पत्र देखा तो व्यवस्था  (Arrangement) का असली चेहरा सामने आ गया। गौरतलब है कि लोक स्वास्थ्य (public health)  यांत्रिकी विभाग  (mechanical department) की कहानी अब किसी धारावाहिक  (serial) से कम नहीं रही, हर एपिसोड  (episode) में एक नया मोड़।

 

 

यहाँ स्वीकृति  (Acceptance) एक जगह की, खुदाई (digging)  दूसरी जगह की और जवाब तीसरी जगह से आता है। यह   से हुआ। तकनीकी कारणों (technical reasons)  से अब लोगों की प्यास और विभाग की सुविधाएँ  (Department Features) बढ़ती जा रही हैं। सरायझर गाँव निवासी  (Resident)  रामसुमन साकेत ने जनसुनवाई में शिकायत दर्ज (lodge a complaint)  कराई कि उनके घर के पास स्वीकृत हैंडपंप का खनन  (Digging of approved hand pump) इंजीनियरों और कुछ प्रभावशाली लोगों  (influential people) की मिलीभगत से दूसरी जगह कर दिया गया।

 

 

रामसुमन साकेत का कहना है कि इंजीनियर खुद घर  (engineer himself home) आए, तस्वीरें लीं, आधार देखा,  (saw the base) नाप-जोख की, लेकिन जब हैंडपंप का खनन  (Mining of hand pump) हो गया तो वे पास वाले के घर निकल गए। अब गाँव वालों का कहना है कि जिसकी व्यवस्था  (Arrangement) की पहचान है, वही हक़दार है। पानी के लिए। जनसुनवाई  (public hearing) में साकेत ने संयुक्त कलेक्टर  (joint collector) से कहा कि उन्हें पानी नहीं, न्याय चाहिए। कलेक्टर  (Collector) ने जाँच के आदेश तो दे दिए हैं, लेकिन जनता जानती है कि जाँच का मतलब बस यही है कि कुछ दिन कागज घूमेंगे  (the paper will rotate) और फिर फाइल सो जाएगी। इस जनसुनवाई ने एक सवाल ज़रूर उठाया, क्या न्याय अब पाइपलाइन  (justice now pipeline) में अटक गया है? क्या न्याय हैंडपंप की तरह है? मंज़ूरी इधर  (approval here) है, लेकिन खनन कहीं और हो रहा है। जनता उम्मीद  (public hope) कर रही है कि इस बार सिर्फ़ हैंडपंप ही नहीं, (Not just a hand pump)  सिस्टम की सूखी आत्मा (dry soul)  भी थोड़ी गीली  होगी।

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