पुलिस की कलिंगा कथा, समझौते से एफआईआर तक की यात्रा

By News Desk

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पुलिस की कलिंगा कथा, समझौते से एफआईआर तक की यात्रा

 

कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने कहा – प्रशासन भाजपा कंपनियों की गुलाम, आईजी और एसपी पर साधा निशाना

 SINGRAULI NEWS :   सिंगरौली थाने में समझौता  (agreement) हुआ, फोटो खिंची, चाय की चुस्की लेते हुए अफसर मुस्कुराए फिर सब अपने-अपने काम में व्यस्त  (Busy) हो गए लेकिन शाम होते ही थाने की घंटी बजी फिर कुछ मिनट बाद ही वही मामला कथा के नाम पर एफआईआर  (FIR) में बदल गया। यह है सिंगरौली पुलिस  (Singrauli Police) की नई कहानी या कहें ओबी कथा, जहां न्याय नहीं, ठेका चलता है।कलिंगा ओबी कंपनी  (Kalinga OB Company) के मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली  (modus operandi) पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।

 

 

 

बता दें कि जेल  (Jail) से रिहा  (released) होने के बाद गुड्डू सिंह ने कहा कि शनिवार दोपहर करीब 2:30 बजे सीएसपी और थाना प्रभारी की मौजूदगी में थाने में कलिंगा कंपनी के भुवनेश्वर दुबे और हेमंत डाकुआ के बीच आपसी समझौता  (agreement) कराया गया। सब कुछ लिखित में हुआ और माहौल शांत घोषित कर दिया गया। लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि रात गहराते ही मामला पलट गया। वही पुलिस, जो दिन में पंच बनकर बैठी थी, रात में हेमंत डाकुआ की रिपोर्ट पर गुड्डू सिंह, डब्बू सिंह सहित चार लोगों पर लूट का प्रकरण दर्ज  (case registered) कर देती है। आरोपियों  (the accused) की सूची में वही नाम जो दिन में समझौता किये थे। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए एमपी और यूपी से चारों आरोपितों को जेल भेज दिया। हालांकि दूसरे ही दिन सभी की जमानत हो गई।

 

 

 

ओबी कंपनियों की कठपुतली बनी पुलिस ?

सवाल यह है कि अगर विवाद सुलझ  (dispute resolved) गया था, तो फिर एफआईआर  (FIR) किस कहानी के नाम पर दर्ज हुई? कथा का नाम लेकर केस दर्ज करना शायद पुलिस  (probably the police) की नई कथा नीति है। इस घटना में कोतवाली पुलिस (Kotwali Police)  की कार्यशैली देख लगता है कि यहां कानून नहीं, ठेका चलता है और पुलिस, ओबी कंपनियों  (OB companies) की कठपुतली बन चुकी है ? लोग अब पूछ रहे हैं कि पुलिस थाना है या किसी कंपनी का कंट्रोल रूम? जहां आदेश ऊपर से नहीं, ओबी कंपनी के गेट से जारी होते हैं। सवाल यह भी कि जब जनता थाने में न्याय की उम्मीद लेकर आती है, तो क्या उसे ठेकेदार के यहां भेज देना नया नियम बन गया है?

 

 

 

 

प्रशासन कंपनियों के गुलाम – प्रवीण सिंह

कलिंगा कंपनी  (Kalinga Company) पर सवाल खड़े करते हुए कांग्रेस जिलाध्यक्ष  (District Head) प्रवीण सिंह ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने लिखा कि जिले में 5 – 6 ओबी कंपनी कार्यरत है लेकिन पिछले 3 महीने से कलिंगा कंपनी के अधिकारियों द्वारा सिंगरौली के नवयुवकों  (young men) के साथ शोषण, अत्याचार, रिश्वतखोरी की खबरें लगातार सोशल मीडिया में चल रही है। हद तो तब हो जाती है जब कल एक साधारण से विवाद पर आईजी -एसपी इतने सक्रिय दिखते है कि किसी को चोपन से पकड़ा जाता है. जैसे उसने हत्या की हो या आतंकवादी गतिविधियों  (terrorist activities) में संलिप्त रहा हो। यह प्रशासन यदि इतनी ही तेजी से जनता के मुद्दों पर दिखाती तो जिले की स्थिति कुछ और रहती। लेकिन प्रशासन पूरी तरह से कंपनी का गुलाम बनी हुई है और भारतीय जनता पार्टी  (Bharatiya Janata Party) के नेता प्रशासन (leader administration) से गुलामी करवा रहे हैं। इस विवादित कंपनी का काम बर्खास्त होना चाहिए हम सब सिंगरौली वासी एक होकर यह मांग करें

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