सदियों के धैर्य, अनगिनत बलिदानों, त्याग और तपस्या के बाद, हमारे श्री राम यहाँ हैं: पीएम मोदी

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After centuries of patience, countless sacrifices, renunciation and penance, our Shri Ram is here: PM Modi . नई दिल्ली (ईएमएस)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने आज उत्तर प्रदेश (UP) के Ayodhya  में नवनिर्मित श्री राम जन्मभूमि मंदिर (Shri Ram Janmabhoomi Temple) में श्री राम लला के प्राण प्रतिष्ठा  समारोह में भाग लिया। श्री मोदी ने श्री राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण में योगदान देने वाले श्रमजीवियों से बातचीत की। प्रधानमंत्री ने कहा कि सदियों के बाद आखिरकार हमारे राम आ गए हैं।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने इस अवसर पर नागरिकों को बधाई देते हुए कहा, सदियों के धैर्य, अनगिनत बलिदान, त्याग और तपस्या के बाद, हमारे भगवान राम यहां हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि गर्भ गृह (आंतरिक गर्भगृह) के अंदर ईश्वरीय चेतना का अनुभव शब्दों में नहीं किया जा सकता है और उनका शरीर ऊर्जा से स्पंदित है और मन प्राण प्रतिष्ठा के क्षण के लिए समर्पित है। “हमारे राम लला अब तंबू में नहीं रहेंगे। यह दिव्य मंदिर अब उनका घर होगा”, प्रधानमंत्री ने विश्वास और श्रद्धा व्यक्त करते हुए कहा कि आज की घटनाओं को देश और दुनिया भर के राम भक्तों द्वारा अनुभव किया जा सकता है। श्री मोदी ने कहा, यह क्षण अलौकिक और पवित्र है, वातावरण, पर्यावरण और ऊर्जा हम पर भगवान राम के आशीर्वाद का प्रतीक है। उन्होंने रेखांकित किया कि 22 जनवरी की सुबह का सूरज अपने साथ एक नई आभा लेकर आया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 22 जनवरी, 2024 केवल कैलेंडर की एक तारीख नहीं है, यह एक नए काल चक्र का उद्गम है। राम मंदिर के भूमि पूजन के बाद से प्रतिदिन पूरे देश में उमंग और उत्साह बढ़ता ही जा रहा था। निर्माण कार्य देख, देशवासियों में हर दिन एक नया विश्वास पैदा हो रहा था और विकास कार्यों की प्रगति से नागरिकों में नई ऊर्जा का संचार हुआ। आज हमें सदियों के उस धैर्य की धरोहर मिली है, आज हमें श्रीराम का मंदिर मिला है। प्रधानमंत्री ने कहा, आज हमें सदियों के धैर्य की विरासत मिली है, आज हमें श्री राम का मंदिर मिला है। उन्होंने जोर देकर कहा कि गुलामी की मानसिकता को तोड़कर उठ खड़ा हो रहा राष्ट्र, अतीत के हर दंश से हौसला लेकर, ऐसे ही नव इतिहास का सृजन करता है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि आज की तारीख की चर्चा आज से एक हजार साल बाद की जाएगी और यह भगवान राम का आशीर्वाद है कि हम इस महत्वपूर्ण अवसर के साक्षी हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, दिन, दिशाएं, आकाश और हर चीज आज दिव्यता से भरी हुई है, उन्होंने कहा कि यह कोई ये समय, सामान्य समय नहीं है। ये काल के चक्र पर सर्वकालिक स्याही से अंकित हो रहीं अमिट स्मृति रेखाएँ हैं।

श्री राम के हर कार्य में पवनपुत्र हनुमान की उपस्थिति की चर्चा कहते हुए प्रधानमंत्री ने श्री हनुमान और हनुमान गढ़ी को नमन किया। उन्होंने लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और माता जानकी को भी प्रणाम किया। उन्होंने इस घटना पर दिव्य संस्थाओं की उपस्थिति को स्वीकार किया। प्रधानमंत्री ने आज का दिन देखने में हुई देरी के लिए प्रभु श्री राम से माफी मांगी और कहा कि आज वह कमी पूरी हो गई है, प्रभु राम निश्चित रूप से हमें क्षमा करेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा, त्रेता युग में राम आगमन पर संत तुलसीदास ने लिखा,“प्रभु बिलोकि हरषे संत तुलसीदास पुरबासी। जनित वियोग बिपति सब नासी। अर्थात्, प्रभु का आगमन देखकर ही सब अयोध्यावासी, समग्र देशवासी हर्ष से भर गए। उस कालखंड में तो वो वियोग केवल 14 वर्षों का था, तब भी इतना असह्य था। इस युग में तो अयोध्या और देशवासियों ने सैकड़ों वर्षों का वियोग सहा है। श्री मोदी ने आगे कहा, संविधान की मूल प्रति में श्रीराम मौजूद होने के बावजूद आजादी के बाद लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी गई। प्रधानमंत्री ने न्याय की गरिमा को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए भारत की न्यायपालिका को धन्यवाद दिया। उन्‍होंने भारत की न्यायपालिका का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि न्याय के पर्याय प्रभु राम का मंदिर भी न्याय बद्ध तरीके से ही बना।

प्रधानमंत्री ने बताया कि छोटे-छोटे गांवों समेत पूरे देश में जुलूस निकल रहे हैं और मंदिरों में स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है। “पूरा देश आज दिवाली मना रहा है। हर घर शाम को राम ज्योति जलाने के लिए तैयार है”, श्री मोदी ने कहा। राम सेतु के शुरुआती बिंदु अरिचल मुनाई की अपनी कल की यात्रा को याद करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह वह क्षण था जिसने काल चक्र को बदल दिया। प्रधानमंत्री ने उस क्षण की उपमा देते हुए कहा कि उन्हें विश्वास हो गया कि उसी तरह अब कालचक्र फिर बदलेगा और शुभ दिशा में बढ़ेगा। श्री मोदी ने बताया कि अपने 11 दिन के व्रत-अनुष्ठान के दौरान मैंने उन स्थानों का चरण स्पर्श करने का प्रयास किया, जहां प्रभु राम के चरण पड़े थे। चाहे वो नासिक का पंचवटी धाम हो, केरला का पवित्र त्रिप्रायर मंदिर हो, आंध्र प्रदेश में लेपाक्षी हो, श्रीरंगम में रंगनाथ स्वामी मंदिर हो, रामेश्वरम में श्री रामनाथस्वामी मंदिर हो, या फिर धनुषकोडि। प्रधानमंत्री ने समुद्र से सरयू नदी तक की यात्रा के लिए आभार व्यक्त किया।

 

 

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