चंडीगढ़ (ईएमएस)। चंडीगढ़ में मेयर चुनाव (Chandigarh Mayor Election ) पार्षदों की निगरानी में जुटी कांग्रेस,आप और भाजपा) को लेकर सियासत गर्म है। आप और भाजपा के पार्षदों की एक-एक विकेट गिरने-गिराए जाने के बाद कांग्रेस को अपनी भी चिंता सता रही है।
सूत्र ने कांग्रेसी पार्षदों को हिमाचल की शिमला में बताया हैं। यानी कि कांग्रेस पार्षद अपनी हिमाचल की राज्य सरकार के संरक्षण में पहुंच गए हैं। इसी तरह भाजपा पार्षदों को भी एक जगह एकत्रित कर दिया गया है ताकि आगे के सियासी टूर पर साथ लेकर ले जाया जा सके।
संभव है कि भाजपा पार्षद भी मेयर चुनाव होने तक शहर से बाहर रहें। अटकले हैं कि वरिष्ठ नेताओं की देखरेख में भाजपा पार्षदों को आसपास ही हरियाणा लेकर जाया जाएं। जोड़-तोड़ की राजनीति का भय इस अंदाज से ही लाया जा सकता है कि आप पार्षद ने तो काफी पहले ही पंजाब में डेरा जमा लिया था, जो शनिवार को पंजाब पुलिस के सरंक्षण में नामांकन पत्र दाखिल करने आई थी, इसके बाद सभी पार्षद वापस रोपड़ के लिए निकल गए।
राजनीतिक गलियों में हर किसी की जुबान पर एक ही बात क्या कांग्रेस-आप का स्थानीय स्तर पर गठबंधन का संगम होगा कि नहीं? शनिवार को मेयर चुनाव की नामांकन प्रक्रिया और तमाम राजनीतिक उठा-पठक के बाद देर रात्रि को राष्ट्रीय स्तर पर लगभग गठबंधन की सूचना सामने आई, जिसके बाद शहर की राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई। यह खबरें अपना मेयर बनाए जाने के जुगात में लगी हुई भाजपा की चिंता बढ़ने जैसी रही।
वहीं, रविवार शाम तक स्थानीय स्तर पर आप और कांग्रेस की आला कमान से 18 जनवरी को मेयर चुनाव को लेकर कोई हरी झंडी नहीं मिल सकी थी। कहा जाता है कि एक- दो दिनों में इसे लेकर तस्वीर पूरी तरह से साफ हो सकेगी। आप और कांग्रेस को हाईकमान से हरी झंडी का इंतजार है। अगर हाईकमान से कोई इशारा नहीं होता है तो मजबूरन कांग्रेस, आप को अलग अलग ही मेयर चुनाव मैदान में उतरना पड़ सकता है। भाजपा भी इसी की कामना कर रही है।