सिंगरौली: 16.33 लाख की ‘गायब नाली’ का मामला पहुंचा EOW रीवा, नगर निगम और NTPC आमने-सामने
सिंगरौली। नगर निगम सिंगरौली के वार्ड क्रमांक 36 में 16 लाख 33 हजार रुपए की लागत से बनी नाली के ‘गायब’ होने का मामला अब आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (EOW) रीवा पहुंच गया है। इस कथित घोटाले ने निगम की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, वहीं NTPC और नगर निगम आमने-सामने आ गए हैं।
क्या है पूरा मामला?
दिनेश प्रताप सिंह हाउस से दिनेश प्रसाद के घर जयनगर रोड तक 4 अगस्त 2023 को नाली निर्माण का टेंडर पास किया गया। नगर निगम ने दावा किया कि निर्माण कार्य पूरा होने पर 16.33 लाख रुपए का भुगतान भी कर दिया गया। लेकिन जब स्थानीय नागरिकों ने नाली ‘गायब’ होने की शिकायत की, तो निगम ने जांच कराई और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया।
जांच में सामने आया सच
निगम आयुक्त दया किशन शर्मा ने जांच टीम गठित की। जब टीम मौके पर पहुंची, तो जमीन पर नाली तो मिली, लेकिन वह RCC नाली थी, जबकि नगर निगम ने PCC नाली का टेंडर जारी किया था। इस नाली को NTPC द्वारा 2017 में बनाए जाने का दावा किया गया। आयुक्त ने जब NTPC से निर्माण के दस्तावेज मांगे, तो NTPC ने प्रमाण समेत सारी जानकारी उपलब्ध करा दी।
अब सवाल ये कि – ‘नगर निगम द्वारा बनी नाली कहां है?’
आयुक्त के अनुसार, उसी स्थल पर एक ही नाली मौजूद है, जिसकी पुष्टि NTPC के दस्तावेजों से हो गई है। लेकिन नगर निगम का दावा है कि उन्होंने अलग से नाली बनवाई और उसका भुगतान भी कर दिया। अब सवाल उठ रहा है कि जिस नाली पर 16.33 लाख का भुगतान किया गया, वो नाली कहां है? क्या उसका निर्माण वास्तव में हुआ भी था?
मामला पहुंचा EOW रीवा
इस पूरे घोटाले के दस्तावेज, फोटोग्राफ्स और लेआउट की प्रतियां अब EOW रीवा एसपी को सौंप दी गई हैं। अब ईओडब्ल्यू इस बात की जांच करेगा कि:
- क्या नगर निगम ने बिना काम के भुगतान किया?
- क्या किसी पुराने निर्माण को ही नए टेंडर के तहत दिखाकर भुगतान कर दिया गया?
- इसमें किन अधिकारियों की मिलीभगत है?
भ्रष्टाचार की बू और जवाबदेही का सवाल
यह मामला सिर्फ एक नाली का नहीं, बल्कि लोक धन के दुरुपयोग और पारदर्शिता की कमी का प्रतीक बन चुका है। यह जांच आने वाले समय में नगर निगम सिंगरौली की कार्यप्रणाली को कठघरे में लाने वाली साबित हो सकती है।
अब देखना यह होगा कि EOW की जांच किस नतीजे तक पहुंचती है और क्या इस ‘गायब नाली’ की सच्चाई सामने आ पाएगी या यह भी बाकी भ्रष्टाचार के मामलों की तरह फाइलों में ही गुम हो जाएगी।