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MP NEWS । जबलपुर में स्थित मध्य प्रदेश (MP) आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय का कद घटकर अब छोटा हो जाएगा। state government ने आयुर्विज्ञान से संबद्ध नर्सिंग एवं पैरामेडिकल कॉलेज (Nursing and Paramedical College) को क्षेत्रीय परंपरागत विवि से जोडऩे का निर्णय किया है। इस निर्णय के बाद आयुर्विज्ञान विवि से संबद्ध ज्यादातर कॉलेज उससे छिन जाएंगे। अभी तक प्रदेश का सबसे बड़ा विवि का दर्जा रखने वाला आयुर्विज्ञान विवि का कार्यक्षेत्र सिकुड जाएगा। इसके साथ ही आयुर्विज्ञान विवि का एक और टुकड़ा करने की भी चर्चा शुरू हो गई है। सूत्रों के अनुसार सरकार अलग आयुष विश्वविद्यालय बनाने की योजना पर काम कर रही है। इस योजना के क्रियान्वयन पर आयुर्विज्ञान विवि में सिर्फ आयुर्विज्ञान और दंत चिकित्सा महाविद्यालय ही बचेंगे। इस विखंडन से शहर को शिक्षाधानी बनाने के सपने को बड़ा झटका लगा है।
आयुर्विज्ञान विवि के विखंडन की साजिश लंबे समय से चल रही थी। स्थापना के बाद ही विवि के टुकड़े करने के कई बार प्रयास हुए। नर्सिंग और पैरामेडिकल के अलग विवि की इंदौर या ग्वालियर में बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया था। उसके बाद आयुर्विज्ञान विवि का मुख्यालय भोपाल ले जाने भी जोर लगया गया था। लेकिन विरोध बढऩे पर सरकार ने प्रस्ताव से कदम पीछे खींच लिए थे। इस बार प्रस्ताव को गोपनीय रखा गया और सीधे कैबिनेट से पारित करके आदेश जारी कर दिया गया है। राज्य सरकार के निर्णय से जबलपुर में बड़ा वर्ग नाराज है। छात्र संगठनों ने भी नर्सिंग और पैरामेडिकल कॉलेजों को चिकित्सा विभाग से हटाकर उच्च शिक्षा विभाग की निगरानी में भेजने का विरोध किया है। स्वास्थ्य पाठ्यक्रम को चिकित्सा की जगह उच्च शिक्षा विभाग के अधीन करने के निर्णय को बेतुका बताया है। सरकार के निर्णय नहीं बदलने पर आंदोलन की चेतावनी दी है।
निर्णय पर इसलिए उठ रहे सवाल
नर्सिंग और पैरामेडिकल कॉलेज पहले क्षेत्रीय परंपरागत विश्वविद्यालयों (जैसे महाकोशल अंचल के साथ रानी दुर्गावती विवि से) से संबद्ध थे। गड़बड़ी शिकायतों और विशेषज्ञों की कमी के कारण व्यवस्था के संचालन में समस्या के चलते इन्हें अलग किया गया। पृथक आयुर्विज्ञान विवि की बुनियाद रखी गई। अब फिर से नर्सिंग एवं पैरामेडिकल कॉलेजों को क्षेत्रीय परंपरागत विवि के अधीन करने का निर्णय किया गया है। सूत्रों के अनुसार नर्सिंग और पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों से आय की प्राप्त होने वाली बड़ी राशि को भी इस बंटवारे का कारण माना जा रहा है।