MP News: सिंगरौली जिले में शुरू हुई सोने की खदान की खुदाई, निवेश और रोजगार के नए द्वार खुलने की उम्मीद
सिंगरौली, मध्य प्रदेश के ऊर्जा और खनिज संपन्न जिले सिंगरौली से एक और बड़ी उपलब्धि सामने आई है। जिले में सोने की खदान की खुदाई का कार्य आधिकारिक रूप से शुरू कर दिया गया है, जिससे न केवल आर्थिक गतिविधियों को बल मिलेगा, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।
कहां हो रही है खुदाई?
प्राप्त जानकारी के अनुसार, सिंगरौली जिले के चितरंगी क्षेत्र(Chitrangi area of Singrauli district) के अंतर्गत आने वाले कुछ चुनिंदा स्थानों पर भूगर्भीय सर्वेक्षण और प्राथमिक परीक्षणों के बाद सोने की मौजूदगी की पुष्टि हुई थी। इसके बाद खनिज विभाग और निजी कंपनियों के संयुक्त उपक्रम के तहत यहां खुदाई का कार्य शुरू किया गया है।
सोना मिलने की संभावना पहले भी जताई गई थी
भूतत्व विशेषज्ञों ने पहले ही संकेत दिए थे कि विंध्य क्षेत्र की चट्टानों में बहुमूल्य खनिजों की भरमार हो सकती है, जिनमें सोना, बॉक्साइट और ग्रेनाइट जैसे खनिज शामिल हैं। हालिया सर्वेक्षणों में गोल्ड अयस्क (Gold Ore) की पुष्टि के बाद खनन प्रक्रिया को हरी झंडी दे दी गई।
क्या होंगे फायदे?
स्थानीय रोजगार सृजन: खदान में श्रमिकों, मशीन ऑपरेटरों, पर्यवेक्षकों और तकनीकी विशेषज्ञों की आवश्यकता बढ़ेगी।
राजस्व में वृद्धि: राज्य सरकार को रॉयल्टी और टैक्स के रूप में भारी आमदनी होगी।
इंफ्रास्ट्रक्चर विकास: खदान के आसपास सड़क, बिजली और पानी की सुविधाएं बेहतर होंगी।
औद्योगिक निवेश: भविष्य में विदेशी और निजी कंपनियों के निवेश की संभावनाएं बनेंगी।
स्थानीय लोगों की चिंता भी बनी हुई है
हालांकि इस विकास के बीच स्थानीय ग्रामीणों और पर्यावरण प्रेमियों ने प्राकृतिक संसाधनों के दोहन और विस्थापन की आशंका भी जताई है। कुछ क्षेत्रों में ग्रामीणों ने मांग की है कि खनन से पहले उन्हें उचित पुनर्वास, मुआवजा और सामाजिक सुरक्षा दी जाए।
सरकारी प्रतिक्रिया
खनिज विभाग के अधिकारियों का कहना है कि:
“खनन का कार्य पूरी तरह पर्यावरणीय दिशा-निर्देशों के अनुसार होगा और स्थानीय हितों का विशेष ध्यान रखा जाएगा। हम इसे स्थायी विकास मॉडल के रूप में आगे बढ़ाना चाहते हैं।”
सिंगरौली जिले में सोने की खदान की खुदाई शुरू होना राज्य के लिए एक बड़ी आर्थिक उपलब्धि है। यदि यह प्रक्रिया पारदर्शिता और पर्यावरणीय संतुलन के साथ आगे बढ़ती है, तो यह सिंगरौली को केवल ऊर्जा राजधानी ही नहीं, बल्कि खनिज समृद्धि का केंद्र भी बना सकती है।