सिंगरौली नगर निगम की ‘नाली चोरी’ कांड: 16.33 लाख की नाली जमीन से गायब, भुगतान भी हो गया पूरा!

By Awanish Tiwari

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सिंगरौली नगर निगम की ‘नाली चोरी’ कांड: 16.33 लाख की नाली जमीन से गायब, भुगतान भी हो गया पूरा!

AWANISH TIWARI  सिंगरौली | विशेष रिपोर्ट: नगर निगम सिंगरौली (ननि) के वार्ड क्रमांक 36 में ऐसा मामला सामने आया है, जिसने शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। 16 लाख 33 हजार रुपए की लागत से बनी नाली, जिसकी वर्क ऑर्डर, निर्माण, निरीक्षण और भुगतान प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी, वह अब मौके से गायब है। नगर निगम अब गंभीरता से ‘नाली की तलाश’ में जुटा है।

 

क्या है पूरा मामला?

नाली निर्माण टेंडर: 4 अगस्त 2023 को हुआ था।

प्रोजेक्ट की लागत: ₹18.72 लाख (एसओआर से 26% नीचे)।

वर्क ऑर्डर: महाकाल ब्रदर्स, जयनगर के नाम से जारी।

निर्माण स्थल: दिनेश प्रताप सिंह हाउस से दिनेश प्रसाद के घर, जयनगर सड़क तक।

भुगतान तिथि: 4 मार्च 2024 को पूर्ण भुगतान किया गया।

 

‘कागज़ी’ नाली, ‘जमीनी’ धोखा

उपयंत्री ने माप पुस्तिका में दर्ज किया कि नाली बनी है।

तकनीकी सत्यापन हुआ, अधिकारियों ने नाली के सामने खड़े होकर फोटो भी खिंचवाए।

दस्तावेज़ों में सब कुछ “गुणवत्ता युक्त निर्माण” बताया गया।

लेकिन… जब स्थल का निरीक्षण हुआ, तो मौके से पूरी नाली ही गायब मिली।

 

ननि की स्थिति: जांच या लीपापोती?

नगर निगम आयुक्त डी.के. शर्मा ने कहा:

“मामला मेरे संज्ञान में आया है। जांच कराई जा रही है और जरूरत पड़ी तो पुलिस की मदद ली जाएगी।”

 

लेकिन सवाल ये हैं:

नाली अगर कभी बनी ही नहीं, तो भुगतान कैसे हो गया?

अगर बनी थी तो फिर उसका अस्तित्व कैसे मिट गया?

क्या यह साफ़-साफ़ कागज़ी घोटाला और फर्जीवाड़ा नहीं है?

 

भ्रष्टाचार की नई परिभाषा: नाली चोरी!

यह मामला सिर्फ चौंकाने वाला नहीं, बल्कि व्यवस्था की विफलता और मिलिभगत का क्लासिक उदाहरण है।

निर्माण नहीं हुआ, फिर भी फोटो, माप, सत्यापन और भुगतान पूरा।

अब जब पोल खुली, तो निगम ‘नाली चोरी’ बताकर जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रहा है।

 

जनता का गुस्सा और विपक्ष की मांग

स्थानीय नागरिकों में आक्रोश है और लोग कह रहे हैं – “ये नाली नहीं, हमारे टैक्स की लूट है।”

विपक्षी पार्षदों और सामाजिक संगठनों ने FIR दर्ज करने और जिम्मेदार इंजीनियरों, ठेकेदार व अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

  • यह नाली का मामला नहीं, नियंत्रणहीन भ्रष्टाचार और फर्जी निर्माण का भंडाफोड़ है।
  • सवाल अब यह नहीं कि नाली कहां है, सवाल यह है कि जिम्मेदारी कहां है और कार्रवाई कब होगी?
  • अगर इस मामले में पारदर्शी जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो यह सिर्फ एक नाली की नहीं, बल्कि शासन की साख की भी मौत होगी।

 

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