Share this
नई दिल्ली (ईएमएस)। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव (Union Minister Ashwini Vaishnav) ने वित्तीय वर्ष के अंत तक रेलवे की 5,500 किलोमीटर लंबी नई पटरियां बिछाई जाने की उम्मीद जताई है। वैष्णव ने एक समाचार चैनल से कहा कि, भारत व्यावहारिक रूप से हर साल अपने रेलवे नेटवर्क में एक स्विट्जरलैंड जोड़ रहा है, स्विट्जरलैंड के पूरे रेलवे नेटवर्क की लंबाई करीब 5,200 किलोमीटर है।
रेल मंत्री ने कहा कि भारत ने पिछले साल रेलवे के 5,200 किलोमीटर ट्रैक बिछाए थे और इस साल 5,500 किलोमीटर और बढ़ाने की राह पर है। उन्होंने यह भी कहा कि पिछली सरकारों के विपरीत, उनकी सरकार की प्राथमिक सुरक्षा पर रही है। रेलवे में सरकार के निवेश को लेकर सवाल पर अश्विनी वैष्णव ने कहा कि, पहले जहां बजट में 15-15 हजार का सपोर्ट मिलता था, उसको मोदी जी ने बढ़ाकर दो लाख 52 हजार करोड़ किया है। यूपीए, कांग्रेस की सरकारों के समय में रेलवे बजट निग्लेक्टेड था। उस समय रेलव को सिर्फ दूध दुहने वाली गाय की तरह समझा जाता था। मोदी जी ने पिछले 10 वर्षों में 26 हजार किलोमीटर नए रेलवे ट्रैक जोड़े हैं। पिछले साल 5200 किलोमीटर नए ट्रैक जोड़े, यानी स्विटजरलैंड के कुल नेटवर्क के बराबर ट्रैक एक साल में जोड़ा।
उन्होंने कहा कि आज बजट में जो तीन कॉरिडोर एप्रूव किए हैं, 40 हजार किलोमीटर नए ट्रैक जोड़े जाएंगे। इसका मतलब जर्मनी और स्विट्जरलैंड का नेटवर्क मिलाकर…उतना नेटवर्क देश में छह से आठ साल में जोड़ा जाएगा। इसका महत्व समझें, ट्रेन में पटरियां ज्यादा होंगी, तभी आप ज्यादा गाड़ियां चला सकते हैं। आज करीब 700 करोड़ लोग रेलवे से एक साल में यात्रा करते हैं। डिमांड इससे भी ज्यादा है। तो कैसे जीरो वेटिंग लिस्ट तक पहुंचा जाए, उसके लिए जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा नए ट्रैक बनें, ज्यादा से ज्यादा नई ट्रैन बनें, अच्छी टेक्नालॉजी आए, सेफ्टी के नए सिस्टम आएं।
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि रेलवे में सफर करते हैं या सामान लेकर जाते हैं तो 90 प्रतिशत पॉल्यूशन बचता है, कॉस्ट कम होती है। सस्टेनेबल ग्रोथ के लिए नॉन पॉल्यूटेड ग्रोथ के लिए मोदी जी ने रेलवे पर बहुत जोर दिया है। यह गरीबों की सवारी है, हजार किलोमीटर 500 रुपये में सफर कर लेते हैं। इसलिए सारा फोकस रेलवे पर है।
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि, पिछले 10 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था को इन्क्लूसिव ग्रोथ दी है, सबका साथ-सबका विकास की फिलासफी के साथ इकानॉमी को मैनेज किया है। जो वर्ग वर्षों से वंचित थे, उनको वरीयता दी। आवास योजना देखें, चाहे जनधन एकाउंट की बात करें।। उज्जवला किस तरह मिला, हर घर नल से जल मिल रहा है। एक तरह से गरीब, आदिवासी, वंचित क्षेत्रों में एक तरह से नई डेवलपमेंट की दिशा मिली है। साथ-साथ इकानॉमी की प्रोडक्टिविटी, ट्रांसपोर्टेशन कैसे बेहतर हो, इलेक्ट्रिसिटी की सप्लाई कैसे बेहतर हो, पोर्ट में कैसे सामान को कम समय में लोड-अनलोड कर सकें, इन सब चीजों पर ध्यान देते हुए संतुलित तरीके से गरीब, वंचित परिवारों के जीवन में बड़ा परिवर्तन आया है। मध्यम वर्ग को बेहतर अवसर मिले हैं। आज के बजट में यही स्पष्ट तौर पर दिखाई देता है।
Big Boss के 11वें सीजन में नजर आई फीमेल कंटेस्टेंट ने दोस्त पर लगाया रेप का आरोप