भोपाल: मध्य प्रदेश में कर्मचारियों की पदोन्नति का दशकों पुराना मुद्दा चिंता का विषय बना हुआ है। शनिवार को मंत्रालयिक सेवा कर्मचारी अधिकारी संघ के अध्यक्ष ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि आरक्षित और अनारक्षित वर्गों के बीच चल रहे गतिरोध को ईमानदार मध्यस्थता के माध्यम से आसानी से सुलझाया जा सकता था, लेकिन ऐसा कोई प्रयास नहीं किया गया।
अध्यक्ष का कहना है कि दोनों वर्ग मूलतः एक-दूसरे के विरोधी नहीं हैं और उनमें समझौता हो सकता था। उनका मानना है कि न्यायालय न्याय तो देते हैं, लेकिन समाधान नहीं, इसलिए मध्यस्थता ही सही विकल्प है।
उन्होंने तीन सुझाव दिए—पहला, राज्य प्रशासनिक एवं अन्य विभागों की तरह समयमान वेतनमान सहित उच्च पदनाम की व्यवस्था हो; दूसरा, जिन संवर्गों में आरक्षित वर्ग का प्रतिशत 36% से अधिक हो गया है, वहाँ फिलहाल आरक्षित वर्ग को पदोन्नति न दी जाए; और तीसरा, आरक्षित और अनारक्षित वर्गों को उनके संबंधित पदों पर पदोन्नत किया जाए।
उन्होंने कहा कि प्रशासनिक टीम में आरक्षित और अनारक्षित दोनों वर्ग शामिल हैं और आपसी संघर्ष से सुशासन का लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता।