मानव मस्तिष्क में मिले माइक्रोप्लास्टिका नई स्टडी ने बढ़ाई चिंता
Breaking News: वैज्ञानिकों ने एक नई रिसर्च में मानव मस्तिष्क के ऊतकों (टिशू) में माइक्रोप्लास्टिक के अंश पाए हैं। यह खोज स्वास्थ्य पर प्लास्टिक प्रदूषण के खतरनाक प्रभावों की ओर इशारा करती है। अध्ययन में यह भी बताया गया है कि माइक्रोप्लास्टिक के स्तर लगातार बढ़ रहे हैं, जिससे कई गंभीर बीमारियों का खतरा हो सकता है।
माइक्रोप्लास्टिक क्या है और यह शरीर में कैसे पहुंचते हैं?
माइक्रोप्लास्टिक छोटे-छोटे प्लास्टिक कण होते हैं, जिनका आकार 5 मिलीमीटर से भी कम होता है।
यह प्लास्टिक बोतलों, पैकेजिंग, सिंथेटिक कपड़ों और प्रदूषित पानी के जरिए हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते है।
हवा, पानी और भोजन में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक सांस के जरिए या खाने के साथ शरीर में चला जाता है और खून के माध्यम से मस्तिष्क तक पहुंच सकता है।
माइक्रोप्लास्टिक का दिमाग पर प्रभाव
यह मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे न्यूरोलॉजिकल समस्याएं हो सकती है।
याद्दाश्त कमजोर हो सकती है और मानसिक बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
यह अल्जाइमर और पार्किंसंस जैसी बीमारियों से भी जुड़ा हो सकता है।
स्टडी के प्रमुख निष्कर्ष
पहली बार मानव मस्तिष्क के ऊतकों में माइक्रोप्लास्टिक के निशान पाए गए।
माइक्रोप्लास्टिक(microplastic) का स्तर बढ़ता जा रहा है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी खतरे भी बढ़ रहे हैं।
प्लास्टिक के अत्यधिक उपयोग और प्रदूषण को रोकने की तत्काल जरूरत है।
कैसे बचा जा सकता है?
प्लास्टिक का उपयोग कम करें, खासकर प्लास्टिक की बोतलें और पैकेजिंग।
फिल्टर किया हुआ पानी पिएं, ताकि पानी में मौजूद प्लास्टिक के छोटे कणों से बचा जा सके।
सिंथेटिक कपड़ों की जगह प्राकृतिक फाइबर वाले कपडे पहनें।
खाने को स्टील या कांच के बर्तनों में स्टोर करें, प्लास्टिक कंटेनर से बचें।
निष्कर्ष
मानव मस्तिष्क में माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी एक गंभीर स्वास्थ्य संकट की ओर इशारा करती है। यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो यह समस्या और भी गंभीर हो सकती है। अब समय आ गया है कि हम प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करें और अपनी सेहत की रक्षा करें!