ईश्वर और अल्ला एक नहीं हो सकते: शक्तिपुत्र जी महाराज

By Awanish Tiwari

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ईश्वर और अल्ला एक नहीं हो सकते: शक्तिपुत्र जी महाराज

सरई । पंचज्योति शक्ति तीर्थ सिद्धाश्रम ट्रस्ट एवं भगवती मानव कल्याण संगठन के संस्थापक संचालक धर्म सम्राट की चेतना पुरस्कार एवं योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज ने आग्ल नव वर्ष के अवसर पर जनमानस को बीएमकेएस यूट्यूब चैनल के माध्यम से लाइव आकर नई चेतना एवं आशीर्वचन प्रदान किया। इस मौके पर सरई तहसील सहित सिंगरौली जिले भर के हजारों शिष्यों ने इस चिंतन को सुना। शक्तिपुत्र जी महाराज ने कहा कि सनातन धर्म का नया वर्ष चैत्र नवरात्रि का प्रथम दिवस होता है, जहां पर पूरी प्रकृति में परिवर्तन होता है, लेकिन अंग्रेजों द्वारा जो परंपरा डाली गई थी वह आज भी चल रही है लेकिन हमें सजगता के साथ जीवन जीना है जहां आज का युवा वर्ग नशे के दलदल में फसता जा रहा है अश्लीलता की दृश्य में अपना जीवन बर्बाद कर रहा है। सनातन धर्म के लोगों को इस दिन भी आध्यात्मिक तरीके से धार्मिक अनुष्ठान करके समाज को एक नई दिशा देनी चाहिए जिसके लिए भगवती मानव कल्याण संगठन ने देश स्तर पर दस हजार से अधिक स्थानों पर मां भगवती जगत में मां के अनुष्ठान किए गए हैं। महाराज जी ने कहा की वर्तमान की परिस्थितियों को देखकर लगता है कि हमारा सनातन धर्म आज भी आजाद नहीं हुआ, आजाद हुआ था तो इस्लाम धर्म जो धर्म को आधार बनाकर पाकिस्तान के नाम पर अलग देश बना। भारत आजाद होते ही मुसलमान के हाथ में देश का शिक्षा विभाग सौपा गया जिसने देश की शिक्षा में ऐसा जहर घोला कि सनातन की चेतना आज भी सोई हुई है। उस समय के मौका परस्त राजनेताओं ने देश में ऐसे कानून थोपा की सनातन धर्म के लोग अपने अधिकारों को लेने के लिए न्यायालय तक नहीं जा सकते हैं, आज जिस तरह से वर्शिप एक्ट सनातन धर्म के मंदिरों के मुक्ति में बाधक बन रहा है, सनातन धर्म के देवी देवता और मंदिर जब तक आजाद नहीं होंगे तो सनातन धर्म कैसे आजाद कहलाएगा ?

भारत में हिंदुत्व के मुद्दे को उठाने वाली देश की एक बड़ी संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जो सराहनीय कार्य कर रहे थे, उनके प्रमुख मोहन भागवत दरगाह में जाते ही शायद जूठन खाने से उनकी बुद्धि भी भ्रष्ट हो चुकी है अगर हम अपने धार्मिक स्थलों को आजाद नहीं करते हैं फिर कैसे हिंदुत्व और सनातन की बात करते हैं। मोहन भागवत जी को किसी धार्मिक स्थल में जाकर 11 दोनों का उपवास करना चाहिए जिससे उनका विवेक सही दिशा में आ सके।

वर्तमान में महात्मा गांधी जी द्वारा कही गई लाइन सार्थक नहीं है कि ईश्वर अल्लाह एक हो सकते हैं ईश्वर किसी की हत्या करना नहीं सिखाता, ईश्वर को मानो या ना मानो ईश्वर को कोई फर्क नहीं पड़ता ईश्वर को मारने वाले लोग कहते हैं कि अगर किसी की हत्या करोगे तो नर्क में जाओगे तुम्हें दंड मिलेगा, वही अल्लाह को मारने वाले लोग कहते हैं जो अल्लाह को ना माने वह काफिर है उसकी हत्या कर दो हत्या करने वालों को जन्नत और 72 हूरे मिलेगी। जहां ईश्वर दयामई करुणामई है, सब पर दया करना सीखाते है, वही अल्लाह को मानने वाले जल्लाद और क्रूर है फिर दोनों एक कैसे हो सकते हैं। हमें उग्रता नहीं करनी है लेकिन भारत के संविधान के अनुसार अपने अधिकारों के लिए लड़ना है। प्रयागराज में महाकुंभ होने जा रहा है जो कई वर्षों बाद एक दिव्य और भव्य आयोजन होगा महाराज जी ने इस आयोजन में अखाड़ा परिषदों से भी आग्रह किया कि अपने-अपने वैभव दिखाने की अपेक्षा सभी अखाड़ा परिषद मिलकर सनातन धर्म के हित में महत्वपूर्ण निर्णय जाति भेद जैसी बुराइयों को दूर करने के लिए निर्णय और हमारे जो भी तीर्थ स्थलो मे अवैध कब्जा है मस्जिद एवं अवैध मजरे बनाई गई है, उन मंदिरों की खोज एवं देश के संविधान के अनुसार उन्हें मुक्त कराने की ठोस योजना बनानी चाहिए।

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