जांच सही ढंग से हो तो फर्जीवाड़े मेें कई चेहरे हो सकते हैँ बेनकाब

By Awanish Tiwari

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जांच सही ढंग से हो तो फर्जीवाड़े मेें कई चेहरे हो सकते हैँ बेनकाब
दसवीं कक्षा की फर्जी मार्कशीट और अधिवक्ता नामांकन तक के सफर में कई किरदार

जबलपुर। कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर अपना अधिवक्ता नामांकन कराने वाले फर्जी अधिवक्ता के खिलाफ सिविल लाइन पुलिस ने धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं के तहत एफआईआर तो दर्ज कर ली हैं लेकिन इस फर्जीवाड़े में कई चेहरे अब भी पर्दे के पीछे हैं, अगर इस मामले की जांच सही ढंग से हो जाए तो कई चेहरे बेनकाब हो सकते हैं। जिस अधिवक्ता की दसवीं की अंकसूची कूटरचित निकली वे आखिर अधिवक्ता कैसे बन गया ये बड़ा सवाल है। इस फर्जीवाड़े के अनेक किरदार हैं जो अब तक बेनकाब नहीं हो सके हैं।

विदित हो कि श्रीमति गीता शुक्ला कार्यकारी सचिव म.प्र.राज्य अधिवक्ता ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि अमित गुरनानी पिता ईश्वर लाल गुरनानी निवासी-5 (बी) क्लासिक प्वाईंट फ्लेट नं.-204 राजेन्द्र नगर जिला इंदौर मप्र द्वारा कक्षा दसवी की हाई स्कूल की कूटरचित अंकसूची के आधार पर अपना अधिवक्ता नामांकन स्टेट बार काउंसिल हाईकोर्ट मप्र से प्राप्त किया गया था जिसकी दसवीं की अंकसूची का सत्यापन मप्र राज्य मुक्त शिक्षा बोर्ड भोपाल से कराये जाने पर अनावेदक की अंकसूची असत्य, फर्जी एवं कूटरचित होना पायी गगई थी। अमित द्वारा दसवी कक्षा की फर्जी मार्कशीट का उपयोग कर अधिवक्ता नामाकंन करवा लिया था। चर्चाएं सरगर्म हो चली है कि दसवीं कक्षा की फर्जी मार्कशीट और अधिवक्ता का नामांकन तक के सफर में कई किरदार शामिल हैं पुलिस और स्टेट बार काउंसिल अगर इस मामले की जांच आगे बढ़ाए तो वे चेहरे भी सामने आ सकते हैं जो अब तक बेनकाब नहीं हो सके है।

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