सिंगरौली की खुटार पंचायत में भ्रष्टाचार की परतें खुलीं, लेकिन जांच में अधिकारी बने मूक दर्शक
सिंगरौली, वैढन।
जिले की खुटार ग्राम पंचायत में सामने आए करोड़ों के भ्रष्टाचार की शिकायतों के बावजूद अब तक कोई प्रभावी जांच नहीं हो सकी है। शिकायतों और जनसुनवाइयों के माध्यम से बार-बार मामला उठाने के बावजूद संबंधित अधिकारी केवल नोटिस तक सीमित रहे हैं, जिससे ग्रामीणों में भारी आक्रोश है।
बार-बार की गई शिकायत, फिर भी जांच नदारद
ग्राम पंचायत खुटार के पूर्व सरपंच सचिव पर लगे वित्तीय अनियमितता के आरोपों के प्रमाण ग्रामवासी लक्ष्मी नारायण गुप्ता गोयलरवा ने सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत किए हैं। उन्होंने बताया कि 31 जनवरी 2025 से लेकर 25 मार्च 2025 तक पांच प्रमुख भुगतानों की जानकारी आरटीआई से मिली, जिसमें लाखों रुपए का भुगतान शासकीय कार्यों के नाम पर हुआ, जबकि वास्तविकता में कार्य ही नहीं कराए गए।
फर्जी सप्लायर, बिना काम के भुगतान का खेल
शिकायतकर्ता के अनुसार “जय अम्बु ट्रेडर्स” नामक संस्था के नाम पर एक ही माह में लाखों का भुगतान किया गया, जबकि गांव में ऐसे किसी सप्लायर की मौजूदगी नहीं है। खुटार पंचायत द्वारा इन भुगतानों के लिए जिन सामग्रियों को खरीदा दिखाया गया, वह मौके पर उपलब्ध नहीं हैं। यहां तक कि बगैर किसी सत्यापन या वितरण के भी भुगतान किए गए।
जनसुनवाई से लेकर विभागीय मौन तक
21 जनवरी, 11 फरवरी, 4 मार्च और 25 मार्च 2025 को जनसुनवाई में शिकायतें दर्ज कराई गईं, लेकिन संबंधित पंचायत अधिकारी, जनपद सीईओ और जिला स्तर के वरिष्ठ अधिकारी अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाए हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि शिकायतों के बावजूद जांच की फाइलें ठंडे बस्ते में डाल दी जाती हैं।
कहीं जांच में लीपापोती न बन जाए बाधा
ग्रामीणों का कहना है कि यदि जल्द ही निष्पक्ष जांच नहीं की गई, तो यह भ्रष्टाचार का मामला भी अन्य मामलों की तरह रफा-दफा हो जाएगा। ग्रामीणों ने यह भी सवाल उठाया है कि जिन अधिकारियों के संरक्षण में यह अनियमितताएं हुईं, उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हो रही?