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Jahangir: जैसे ही सलीम ने मुग़ल साम्राज्य (Mughal Empire) की बागडोर संभाली, उसे जहाँगीर की उपाधि दी गई। जहांगीर का अर्थ है विश्व विजेता। जहांगीर न केवल अपनी उदारता के लिए जाना जाता था बल्कि वह अपनी क्रूरता के लिए भी कुख्यात था। एलिसन बैंक्स फिडले ने अपनी किताब नूरजहां: एम्प्रेस ऑफ मुगल इंडिया में जहांगीर की क्रूरता के किस्से गिनाए हैं। वह लिखते हैं कि 17 अक्टूबर, 1605 को अकबर की मृत्यु के बाद, जहांगीर को मुग़ल सिंहासन दिया गया था। वह कभी बहुत उदार तो कभी क्रूर होता था-Jahangir
बेटे की आंख फोड़ दी गई
जहांगीर ने अपने नौकर के हाथ काट दिये क्योंकि उसने चम्पा में कुछ पेड़ काट दिये थे। लेकिन जहांगीर की क्रूरता का जिम्मेदार केवल आम लोग ही नहीं बल्कि उसका बेटा भी था। जहांगीर ने विद्रोह करने पर अपने बेटे की आँख निकाल ली। इस हैवानियत के बाद उन्होंने अपने बेटे का इलाज भी कराया लेकिन उसकी आंखें वापस नहीं आईं. बादशाह को अपनी आंखों से क्रूरता देखना पसंद था।
सिखों के 5वें गुरु अर्जन देवगुरु की हत्या
सिखों के 5वें गुरु अर्जन देव की हत्या के पीछे भी जहांगीर का हाथ है। जहांगीर के बेटे की अर्जन देव ने मदद की थी लेकिन इससे वह खुश नहीं हुआ। उन्होंने तमतमाते हुए अर्जन देव से पूछा कि उन्होंने खुसरो की मदद क्यों की तो अर्जन देव ने कहा कि वह सफर परी पर जा रहे हैं। यह सुनकर जहाँगीर क्रोधित हो गया और उसने अर्जन देव को एक कोठरी में कैद कर दिया। कैद करने के बाद रावी नदी के तट पर उनकी हत्या कर दी गई। इतिहासकारों के अनुसार जहांगीर अस्थमा से पीड़ित था जो धूल और गर्मी को बिल्कुल भी सहन नहीं कर पाता था। अपने जीवन के अंत में वे कश्मीर चले गये और 1627 में दुनिया को अलविदा कह गये।
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