केवी कुटीर: कुमार विश्वास का पारंपरिक शैली में बना पर्यावरण-अनुकूल आशियाना

By Awanish Tiwari

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केवी कुटीर: कुमार विश्वास का पारंपरिक शैली में बना पर्यावरण-अनुकूल आशियाना

गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश: मशहूर कवि और वक्ता कुमार विश्वास एक बार फिर चर्चा में हैं, लेकिन इस बार उनकी कविताओं या मंचीय उपस्थिति के लिए नहीं, बल्कि उनके खास अंदाज़ में बने नये घर ‘केवी कुटीर’ के कारण। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के पिलखुवा स्थित अपने पैतृक गांव में बना यह घर भारतीय परंपरा, प्रकृति और आधुनिक सोच का बेजोड़ मेल है।

केवी कुटीर: कवि का कल्पनाशील किला

यह आशियाना विशेष रूप से इसलिए चर्चा में है क्योंकि इसे बिना सीमेंट के, पूरी तरह पारंपरिक भारतीय वास्तुकला और वैदिक प्लास्टर तकनीक से बनाया गया है। इसमें उपयोग की गई सामग्रियां जैसे पीली मिट्टी, गोबर, चूना, आंवला, लिसोढ़ा, गूलर और शीशम जैसे पेड़ों के अवशेष न सिर्फ इसे मजबूती प्रदान करते हैं, बल्कि दीवारों को एंटी-बैक्टीरियल और गर्मी में ठंडक देने वाला बनाते हैं।

कुमार विश्वास ने खुलासा किया कि इस अनोखे निर्माण की प्रेरणा उन्हें ब्रिटिश लेखक ई.बी. हॉवेल की एक पुस्तक से मिली। पुस्तक में वर्णित पारंपरिक घरों ने उन्हें अपने सपनों का घर इसी शैली में बनाने की प्रेरणा दी। उन्होंने राजमिस्त्री को इसकी विधि समझाई और उसी अनुरूप निर्माण कराया। यह घर आधुनिक ईंट-सीमेंट के मकानों से बिलकुल अलग है और पर्यावरणीय दृष्टि से अधिक अनुकूल भी।

विशेषताएं जो बनाती हैं केवी कुटीर को अलग

‘केवी कुटीर’ सिर्फ एक निवास स्थान नहीं है, यह एक सांस्कृतिक केंद्र के रूप में भी विकसित किया गया है। यहां एक विशाल पुस्तकालय और वीडियो रिकॉर्डिंग स्टूडियो भी है, जहां कुमार विश्वास अपने डिजिटल कंटेंट तैयार करते हैं और मेहमानों का स्वागत करते हैं। घर के सामने एक सुंदर तालाब है, जिसमें बतखें तैरती हैं और आसपास औषधीय पौधों, फलों व सब्जियों की खेती की गई है, जो इसे एक आत्मनिर्भर इकाई बनाते हैं।

घर की दीवारों पर उकेरी गई कलाकृतियां इसकी खूबसूरती को और भी निखारती हैं। सोशल मीडिया पर इसकी तस्वीरें वायरल हो रही हैं और लोग इस देसी अंदाज़ वाले, पर्यावरण-अनुकूल घर की सराहना कर रहे हैं।

पारंपरिक विरासत से आधुनिक जीवनशैली की ओर

‘केवी कुटीर’ सिर्फ एक घर नहीं, बल्कि एक विचारधारा है – जो आधुनिक जीवनशैली के साथ पारंपरिक भारतीय वास्तुशिल्प और पर्यावरण संरक्षण के महत्व को जोड़ती है। यह घर न केवल सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ाव का प्रतीक है, बल्कि यह भी दिखाता है कि टिकाऊ निर्माण किस तरह हमारे भविष्य के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है।

कुमार विश्वास का यह कदम आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश देता है कि भारतीय परंपराएं, जब सही तरीके से अपनाई जाएं, तो वे न सिर्फ सुंदर होती हैं, बल्कि स्वास्थ्यवर्धक और पर्यावरण के अनुकूल भी हो सकती हैं।

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