Monsoon 2025: मध्यप्रदेश में मानसून देगा राहत, इस बार औसत से ज्यादा बारिश का अनुमान

By Awanish Tiwari

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Monsoon 2025: मध्यप्रदेश में मानसून देगा राहत, इस बार औसत से ज्यादा बारिश का अनुमान

भोपाल।
मध्यप्रदेश में मौसम ने एक बार फिर करवट ली है। जहां एक ओर प्री-मानसून की बारिश कुछ जिलों में राहत पहुंचा रही है, वहीं दूसरी ओर कई इलाके अभी भी भीषण गर्मी और उमस से जूझ रहे हैं। इस बीच भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने मानसून को लेकर एक बड़ा अपडेट साझा किया है, जो प्रदेशवासियों के लिए राहतभरी खबर साबित हो सकती है।


प्री-मानसून की मार: कहीं बारिश, कहीं गर्मी

राज्य के जबलपुर और शहडोल जैसे हिस्सों में जहां प्री-मानसून ने दस्तक दे दी है और बारिश हो रही है, वहीं भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, चंबल, रीवा जैसे क्षेत्र अभी भी तपिश से बेहाल हैं। मौसम के इस असंतुलन ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है।


मानसून अपडेट: रफ्तार में सुस्ती, लेकिन बारिश जबरदस्त

IMD के अनुसार, मानसून की रफ्तार धीमी हो गई है, जिसके कारण 8 से 10 दिन की देरी संभावित है। यानी मानसून प्रदेश में सामान्य समय से थोड़ा देर से पहुंचेगा। लेकिन राहत की बात यह है कि इस बार औसत से ज्यादा बारिश होने की संभावना जताई गई है।


40 इंच तक बारिश का अनुमान

IMD की रिपोर्ट के अनुसार, इस बार प्रदेश में औसतन 40 इंच तक वर्षा हो सकती है। ये आंकड़ा राज्य की कृषि, पेयजल व्यवस्था और जल संरक्षण के लिहाज़ से अत्यंत सकारात्मक संकेत है।


ज्यादा बारिश किन जिलों में होगी?

  • जबलपुर और शहडोल संभागों में सबसे ज्यादा बारिश का अनुमान है।
  • भोपाल, इंदौर, उज्जैन, सागर, नर्मदापुरम, रीवा, ग्वालियर और चंबल संभागों में भी अच्छी बारिश की संभावना जताई गई है।

क्षेत्रवार पूर्वानुमान:

  • ग्वालियर-चंबल (उत्तरी एमपी): सामान्य बारिश की संभावना
  • इंदौर-उज्जैन (पश्चिमी एमपी): मानसून कोटा पूरा होने की उम्मीद
  • रीवा-शहडोल (पूर्वी एमपी): भारी बारिश की चेतावनी

जून से सितंबर तक एक्टिव रहेगा मानसून

मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक, मानसून जून से सितंबर तक सक्रिय रहेगा। भले ही इसकी शुरुआत में थोड़ी देरी हो, लेकिन जुलाई और अगस्त में अच्छी बारिश की संभावना है, जो प्रदेश की खेती और जल स्तर के लिए अत्यंत फायदेमंद होगी।


क्या करें किसान और नागरिक?

विशेषज्ञों के मुताबिक:

  • किसान बारिश के पहले बीज, खाद और उपकरणों की तैयारी कर लें।
  • निचले इलाकों में रहने वाले लोग जलभराव से बचाव की व्यवस्था करें।
  • शहरी प्रशासन नालियों की सफाई और जल निकासी की व्यवस्था समय पर सुनिश्चित करें।

 

 

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