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Mughal History: मुगलों के बारे में जानने के लिए हर कोई चाहता है, मुगलों हमेशा से चर्चा में रहे है और उनके कारनामे भी मुगलों में तलाक के नियम भी थे तो आइये जानते है,मुगलों के समय में तलाक के क्या नियम थे,1526 से 1761 तक मुस्लिम पुरुषों और महिलाओं के बीच तलाक (Divorce) की प्रथा (Custom) थी। इस दौरान पुरुषों को तलाक मिलता था, जबकि महिलाओं को ‘खुला’ मिलता था। इस कानून को शरीयत में भी देखा जा सकता है. मुग़ल काल में मुसलमानों में तलाक के मामले बहुत कम थे।(Mughal History)
उस समय लोग तलाक को सही नहीं मानते थे. अगर किसी को तलाकशुदा (Divorced) कह दिया जाए तो वह मरने-मारने को तैयार हो जाता था. यानि इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मुगल काल में तलाक लेना समाज की नजरों में बुरा बनने जैसा था.इतिहासकारों के अनुसार, मुगल काल के दौरान, गरीब मुसलमानों के बीच मौखिक प्रतिज्ञा का चलन काफी आम था, जबकि इसके विपरीत, निकाहनामे या तलाक शिक्षित और कुलीन मुसलमानों के बीच लिखा जाता था। प्रोफेसर शिरीन के मुताबिक, मुगल काल में निकाह की चार मुख्य शर्तें थीं। पहली शर्त यह थी कि पति अपनी मौजूदा पत्नी के साथ रहते हुए दोबारा शादी नहीं कर सकेगा।
दूसरा- पत्नी को नहीं मारेंगे. तीसरा – यदि पति लंबे समय तक अपनी पत्नी से दूर रहता है तो वह पत्नी के भरण-पोषण की व्यवस्था करेगा। चौथा – पत्नी के जीवित रहते पति किसी अन्य महिला को गुलाम बनाकर नहीं रख सकता। अगर इन चारों शर्तों में से सभी शर्तें टूट गईं तो शादी ख़त्म घोषित कर दी जाती थी. आपको बता दें कि मुलाग काल में तलाक को लेकर बहुत सख्त कानून थे, लेकिन ये कानून गरीबों के बीच व्यापक रूप से लागू नहीं थे