Singrauli news: एनसीएल को झुककर देना होगा पूर्ण लाभ: चेतावनी सभा में गरजे पूर्व विधायक रामलल्लू वैश्य

By Awanish Tiwari

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एनसीएल को झुककर देना होगा पूर्ण लाभ: चेतावनी सभा में गरजे पूर्व विधायक रामलल्लू वैश्य

सिंगरौली, 19 मई 2025।
मोरवा के बस स्टैंड के पास सोमवार को आयोजित विशाल चेतावनी सभा में स्थानीय विस्थापितों की समस्याओं को लेकर जमकर हुंकार भरी गई। सभा की अध्यक्षता कर रहे पूर्व विधायक रामलल्लू बैस ने स्पष्ट कहा कि यदि मोरवा की जनता एकजुट होती है, तो एनसीएल (नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) को झुकना पड़ेगा और विस्थापितों को पूर्ण लाभ देना ही होगा।

पूर्व में एक समान लाभ, अब क्यों दोहरी नीति?

रामलल्लू बैस ने अपनी बातों में एनसीएल प्रबंधन पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि जब वे विधायक थे, तब शासकीय भूमि पर बसे और पट्टाधारी सभी परिवारों को एक समान मुआवजा और पुनर्वास सुविधा दिलाई गई थी। वार्ड क्रमांक 10 में विस्थापन के दौरान भी एनसीएल ने बिना भेदभाव सभी को लाभ दिया था, लेकिन अब दोहरी नीति अपनाई जा रही है, जो सरासर अन्याय है।

“फूट डालो और राज करो” की नीति पर हमला

सभा में मौजूद अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं अपराध नियंत्रण संगठन के राष्ट्रीय महासचिव अमित तिवारी ने एनसीएल पर आरोप लगाया कि वह ब्रिटिश हुकूमत की तर्ज पर ‘फूट डालो और राज करो’ की रणनीति अपना रही है। उन्होंने कहा कि एनसीएल पहले स्थानीय लोगों के बीच फूट डालता है और फिर अपनी मनमानी थोपता है।

शिक्षा और भविष्य पर भी उठे सवाल

अमित तिवारी ने क्षेत्र के युवाओं के भविष्य को लेकर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि एनसीएल द्वारा विस्थापित किए जा रहे परिवारों के बच्चों की शिक्षा और करियर अधर में लटक गया है, कई स्कूल-कॉलेज प्रभावित हो रहे हैं, लेकिन एनसीएल प्रबंधन को इससे कोई सरोकार नहीं है।

जनप्रतिनिधियों और सामाजिक नेताओं की भी रही भागीदारी

सभा में वार्ड क्रमांक 10 के पार्षद राजबहादुर पनिका, पूर्व पार्षद विमल गुप्ता, मोरवा मंडल अध्यक्ष विनोद सिंह कुरूवंशी, झुग्गी-झोपड़ी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सुनील सिंह गहरवार, रंजीत शर्मा, राजेश गुप्ता, चंदन सिंह, और संजीव सिंह जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी भाग लिया और एनसीएल की विस्थापन नीतियों की आलोचना की।

क्या चाहते हैं विस्थापित?

विस्थापितों की प्रमुख मांगें थीं:

सभी को समान मुआवजा और पुनर्वास सुविधा मिले, चाहे वे शासकीय भूमि पर बसे हों या पट्टाधारी हों।

उन्हें सुविधायुक्त प्लॉट दिए जाएं।

पुनर्वास की प्रक्रिया में भेदभाव और लालफीताशाही को रोका जाए।

शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं को विस्थापित क्षेत्रों में प्राथमिकता दी जाए।

न्याय की चेतावनी

सभा में वक्ताओं ने दो टूक कहा कि अगर एनसीएल प्रबंधन अपनी नीतियों में बदलाव नहीं लाता और स्थानीय लोगों के साथ न्याय नहीं करता, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। यह सिर्फ विस्थापन का नहीं, बल्कि सम्मान और अस्तित्व की लड़ाई है।

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