एनजीटी की गाइडलाइन सिर्फ कागजों में: खुले वाहनों में राखड परिवहन पर रोक की अनदेखी, ओवरलोड वाहन फैलाते हैं प्रदूषण

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नई ताकत न्यूज़ सिंगरौली. बिजली बनाने की प्रक्रिया में कोयला जलने के बाद निकलने वाली राखड़ (लाईऐश) का अधिक से अधिक उपयोग कर हो रहे प्रदूषण से राहत दिलाई जाए। विद्युत उत्पादक कंपनियों को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से जारी ये निर्देश प्रदूषण से राहत दिलाने के बजाए आफत भरा साबित हो रहा है। वजह ट्रांसपोर्टरों की परिवहन में मनमानी है।

कलेक्टर के निर्देश भी मनमानी के आगे हवा

सिंगरौली : राखड़ के परिवहन की जिमेदारी लेने वाले ट्रांसपोर्टरों ने नियम-कायदों को ताक पर रख दिया है। कलेक्टर की ओर से जारी निर्देश भी उन पर बेअसर है। लाईऐश यानी राखड़ के परिवहन से लोगों को समस्या न हो। इसके मद्देनजर एनजीटी की ओर से भी गाइडलाइन जारी किया गया है, लेकिन यहां गाइडलाइन का पालन करना और करा पाना दोनों ही मुमकिन नहीं हो रहा है।

नतीजा खुले वाहनों में राखड़ के परिवहन लोगों को प्रदूषण का दंश दे रहा है। ओवरलोड वाहनों से राखड़ का गीला मलबा सडक़ पर गिरता है और सूख की धूल के रूप में उडकऱ प्रदूषण का कारण बन रहा है। पीड़ितों की शिकायत पर कलेक्टर की ओर से गाइडलाइन का पालन किए जाने को लेकर आदेश जारी तो किया गया, लेकिन कोई उसका पालन नहीं कर रहा है।

परिवहन में लगे ढाई सौ से अधिक वाहन

एनटीपीसी के लाईऐश डैम से राख का परिवहन करने में वर्तमान में ढाई सौ से अधिक वाहन लगे हुए हैं। 90 फीसदी से अधिक वाहन खुले ट्राली वाले हैं। उनको तिरपाल से ढकने की औपचारिकता की जाती है। बता दें कि वर्तमान में लाईऐश का परिवहन तीन उद्देश्यों से किया जा रहा है। एनसीएल की बंद गोरबी खदान को भरने के लिए राखड़ का परिवहन हो रहा है। इसके अलावा लाईऐश का ईंट भरने के लिए संचालित प्लांटों में परिवहन किया जा रहा है। इसी प्रकार नेशनल हाईवे के निर्माण में लाईऐश का प्रयोग हो रहा है। इसके लिए झारखंड, वाराणसी व प्रयागराज तक लाईऐश पहुंचाया जा रहा है। संबंधित सभी रूटों पर इस समय धूल उड़ रही है।

गाइडलाइन, नहीं हो रहा पालन

लाईऐश का परिवहन बंद यानी कैप्सूल वाहन में किया जाए।

परिवहन में लगे वाहनों के लिए रूट व समय निर्धारित हो।

परिवहन में लगे वाहन किसी भी स्थिति में ओवरलोड न हों।

परिवहन वाले निर्धारित रूट की नियमित सफाई कराई जाए।

वाहन समूह में चलें और रतार निर्धारित गति सीमा में हो।

कहना है

राखड़ के परिवहन से इस तरह प्रदूषण हो रहा है कि लोग श्वास की बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं। सडक़ की दुकानों व घरों में राख की धूल उडकऱ जा रही है। कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

हेमंत मिश्रा, स्थानीय रहवासी

गोरबी, विंध्यनगर, शक्तिनगर व अनपरा सहित अन्य क्षेत्रों में एयर क्वालिटी इंडेक्स हमेशा साढ़े तीन से अधिक बना हुआ है। वायु प्रदूषण का आकलन करने वाले संयंत्रों से भी छेड़छाड़ की जा रही है। इसकी जांच होनी चाहिए।

पंकज शुक्ला, पर्यावरण विशेषज्ञ

सिंगरौली से हो रहे लाईऐश के परिवहन से वर्तमान में उत्तर प्रदेश का इलाका भी प्रभावित है। सिंगरौली की सीमा से सटे सोनभद्र जिले की सडक़ राखड़ से पटी हैं। उड़ रही धूल से लोग परेशान हैं। कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

पानपति गुप्ता, स्थानीय जनप्रतिनिधि सोनभद्र

कोयला हो या लाईऐश परिवहन को निर्धारित गाइडलाइन का पालन अनिवार्य है। गाइडलाइन को नजरअंदाज करने वालों पर सत कार्रवाई का निर्देश है। कार्रवाई की भी जा रही है। जल्द ही मनमानी पर लगाग लग जाएगी।

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Awanish Tiwari
Author: Awanish Tiwari

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