REWA NEWS : नगर निगम ने 5 से 16 जून तक शहर में चलाया अभियान, अभियान में प्राचीन जलस्रोतों को भुलाया इनकी नहीं हो पाई सफाई

By Awanish Tiwari

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REWA NEWS . शहर के पुराने जलस्त्रोतों की सफाई का अभियान चलाया गया। पांच जून से लेकर 16 जून के बीच शहर के कई पुराने जलस्रोतों में सफाई की गई और उनके स्रातों पुनर्जीवित करने का प्रयास किया गया। इस बीच आजादी के पूर्व से स्थापित शहर के पुराने जलस्रोतों की अनदेखी कर दी गई। उन तक न तो नगर निगम का प्रशासनिक अमला पहुंचा और न ही इस अभियान में जुटे अन्य संगठन पहुंच पाए। इसमें कई ऐसे जलस्रोत हैं जो ऐतिहासिक धरोहर भी हैं। वहीं नगर निगम का दावा है कि दर्जनभर से ऊपर बावड़ी और कुओं की सफाई की गई है। इसमें गुढ़ चौराहे के पास रानी अजब कुंवरि की बावड़ी की सफाई में कलेक्टर और निगम आयुक्त भी पहुंची थीं। इसी तरह लक्ष्मणबाग की बावड़ी के सफाई अभियान में मुख्यमंत्री मोहन यादव भी शामिल हुए। चिन्हित स्थानों पर बड़े आयोजन करने के चक्कर में निगम के अधिकारियों ने कई अन्य ऐतिहासिक जलस्रोतों को भुला दिया। वहीं इस संबंध में नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि आगे भी क्रमबद्ध तरीके से पुराने जलस्रोतों की सफाई का कार्य चलता रहेगा।

राधा-कृष्ण मंदिर बावड़ी— कलेक्ट्रेट के पास स्थित राधा-कृष्ण मंदिर परिसर में ऐतिहासिक बावड़ी है। यह अपने स्थापत्य कला और मजबूती को लेकर भी जानी जाती है। यहां पर सफाई के अभियान के तहत कोई भी नहीं पहुंचा। बावड़ी के जलस्त्रोत की बात दूर परिसर का कचरा तक साफ नहीं हुआ।

झिरिया की बावड़ी— शहर में झिरिया मोहल्ले की ऐतिहासिक बावड़ी जो अब भी मजबूत स्थिति में है। यहां पर अमहिया नाले का प्रदूषित पानी पहुंचता है जिसकी वजह से उपयोग बंद हो गया है। इसकी सफाई ठीक से नहीं कराई गई।

उद्यानिकी बावड़ी— शहर में कोठी क्षेत्र में स्थित उद्यानिकी कार्यालय परिसर की पुरानी बावड़ी की भी सफाई नहीं की गई।

पुराने कुएं— नलजल सप्लाई के पहले रीवा शहर में कुएं ही पेयजल के प्रमुख स्त्रोत होते थे। इसी में शामिल शिल्पी प्लाजा के पास के कुएं को लोगों ने मलबा डालकर पाट दिया है। ऐसे ही बाणसागर कालोनी, पांडेन टोला, तरहटी, घोघर, उपरहटी, निपनिया सहित अन्य हिस्सों में पुराने कुओं में अब भी कचरा भरा है पर उनकी सफाई पर ध्यान नहीं दिया गया।

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