गजराबहरा कोल यार्ड में मजदूरों का आक्रोश: शोषण और उपेक्षा के गंभीर आरोप
गजराबहरा कोल यार्ड में काम करने वाले मजदूरों का आक्रोश प्रबंधन के खिलाफ बढ़ता जा रहा है। मजदूरों ने आरोप लगाया है कि उनसे प्रतिदिन 12 घंटे की कड़ी मेहनत कराई जा रही है, लेकिन इसके बदले में उचित मजदूरी का भुगतान नहीं किया जा रहा है। श्रमिकों का कहना है कि कोल यार्ड में काम करने की कठिन परिस्थितियों के बावजूद उनकी आवाज़ को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है।
मजदूरों के मुख्य आरोप:
अत्यधिक कार्यभार: मजदूरों ने कहा कि उनसे 12 घंटे तक काम कराया जाता है, जो श्रम कानूनों का उल्लंघन है।
अपर्याप्त मजदूरी: भारी परिश्रम के बावजूद उन्हें उनकी मेहनत के अनुरूप भुगतान नहीं किया जा रहा है।
स्थानीय युवाओं की अनदेखी: श्रमिकों ने आरोप लगाया कि कंपनी प्रबंधन स्थानीय युवाओं को रोजगार देने के बजाय बाहरी लोगों को काम पर रख रहा है। इससे स्थानीय बेरोजगारी की समस्या और गंभीर हो रही है।
स्वास्थ्य समस्याएं: कोल यार्ड में कोयले की धूल के उड़ने से श्रमिकों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सांस की बीमारियां, त्वचा रोग और अन्य शारीरिक समस्याएं आम हो गई हैं।
श्रमिकों ने इस स्थिति को लेकर कंपनी प्रबंधन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। मजदूर संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों पर शीघ्र ध्यान नहीं दिया गया तो वे विरोध प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होंगे। श्रमिकों की यह नाराजगी स्थानीय प्रशासन के लिए भी एक गंभीर चुनौती बन सकती है।
स्थिति पर आगे की कार्रवाई:
मजदूर संगठनों ने कहा है कि यदि कंपनी प्रबंधन ने उनकी मांगों को अनसुना किया, तो वे कानूनी कार्रवाई का सहारा लेंगे। श्रमिकों की मांग है कि उन्हें काम के घंटे कम किए जाएं, उचित मजदूरी दी जाए और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार किया जाए। साथ ही, स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर दिए जाएं।
यह मामला न केवल मजदूरों के अधिकारों से जुड़ा है, बल्कि स्थानीय सामाजिक-आर्थिक संतुलन के लिए भी महत्वपूर्ण है।