Singrauli News : कोयला खदानों में खपाया जा रहा यूपी का डीजल, सरकार को चपत,सीबीआइ भी डाल चुकी है रेड

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कलेक्टर की ओर से गठित दल की जांच में की गई खानापूर्ति, सीबीआइ भी एक बार डाल चुकी है रेड

कोयला खदानों में खपाया जा रहा यूपी का डीजल, सरकार को चपत,सीबीआइ भी डाल चुकी है रेड

Singrauli News. कोयला खदानों में एक बार फिर से पेट्रोल पंपों का डीजल उपयोग में खेल शुरू हो गया है। प्रति लीटर करीब 19 रुपए से अधिक की बचत के चलते ओबी कंपनियां उत्तर प्रदेश में सस्ते दर पर मिलने वाले डीजल का प्रयोग कर रही हैं। इससे सरकार को करोड़ों रुपए की चपत लग रही है। यूपी से डीजल लाने के खेल की कलेक्टर से शिकायत के बाद कुछ दिनों के लिए ओबी यानी ओवर बार्डन (खदान से मिट्टी) निकालने वाली कंपनियों शांत हुई थी, लेकिन एक बार फिर ये खेल शुरू हो गया है। इससे राज्य सरकार को हर महीने करोड़ों का नुकसान हो रहा है।

कोयला खदानों में कार्य करने वाली ओबी कंपनियों को यहां मध्य प्रदेश से डीजल लेने पर वैट सहित अन्य टैक्स देना पड़ा है। बचत के चलते ज्यादातर ओबी कंपनियां बड़ी मात्रा में उत्तर प्रदेश के पेट्रोल पंपों से डीजल लेकर उपयोग कर रही हैं। पेट्रोल पंपों में बड़ी संख्या में पहुंचने वाले ईधन वाहन खेल को बयां करने के लिए काफी हैं।

दरअसल डीजल की कीमत यहां सिंगरौली में उत्तर प्रदेश की तुलना में 19 रुपए तक अधिक है। ये राज्य सरकार का टैक्स होता है। जिसे ओबी कंपनियां हजम कर रही हैं। एनसीएल सहित अन्य निजी कंपनियों की खदानों में कार्य कर रही ओबी कंपनियों में करीब 10 हजार से अधिक बड़े वाहनों लगे हुए हैं। इन वाहनों में हर रोज ईंधन की खपत करीब 20 लाख लीटर बताई जा रही है। ईंधन का 50 फीसदी हिस्सा भी रिटेल दर पर लिया गया तो एक महीने में 55 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान होगा।

कलिंगा में जांच को गठित हुई थी कमेटी

ईधन में खेल कर राजस्व को चपत लगाने की शिकायत पर कलेक्टर ने जांच दल गठित किया था। शिकायत ओबी कंपनी कलिंगा में डीजल में खेल को लेकर की गई थी। जिला आपूर्ति अधिकारी के नेतृत्व में गठित जांच कमेटी की सारी कवायद केवल खानापूर्ति तक सीमित रह गई है। डीजल का खेल ज्यादातर ओबी कंपनियों में चल रहा है। कुछ कंपनियों के तो खुद के डीजल पंप हैं।

डीजल का काला कारोबार पिछले कई वर्षों से चल रहा है। वर्ष 2013 में सीबीआइ ने एनसीएल के खडिय़ा परियोजना में छापा मार कर डीजल के खेल में लिप्त लोगों को पकड़ा था। इसमें कई लोग गिरफ्तार भी हुए थे। दो वर्ष पहले एसटीएफ की रेड में भी कई लोग गिरफ्तार हुए थे। फिलहाल कार्रवाई हुए अधिक समय व्यतीत हो गया है। यही वजह है कि काला कारनामा करने वाले बेफि₹ हो गए हैं।

पूर्व में इस मामले को लेकर शिकायत मिली थी। जांच के लिए एक टीम गठन किया था। टीम की रिपोर्ट में कोई गड़बड़ी नहीं मिली थी। शिकायत मिलती है तो फिर जांच कराई जाएगी।

चंद्रशेखर शुक्ल, कलेक्टर सिंगरौली।

Awanish Tiwari
Author: Awanish Tiwari

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