आदिवासी महिला सरपंच सोनकली सिंह की गुहार: पंचायत के जीआरएस पर गंभीर आरोप, एक साल से न्याय की तलाश
अवनीश तिवारी
सिंगरौली, 15 मई।
जनपद पंचायत देवसर की ग्राम पंचायत चटनिहा की आदिवासी महिला सरपंच सोनकली सिंह प्रशासनिक उपेक्षा के चलते दर-दर भटकने को मजबूर हैं। पंचायत के रोजगार सहायक (जीआरएस) भुवनेश्वर प्रसाद जायसवाल पर लगाए गए गंभीर आरोपों के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे पंचायत में भ्रष्टाचार और अव्यवस्था की स्थिति बनी हुई है।
नोटिस तक सिमटी कार्रवाई, नहीं मिला समाधान
सरपंच सोनकली सिंह ने बताया कि उन्होंने रोजगार सहायक के खिलाफ एक वर्ष पूर्व ही जनपद और जिला पंचायत सीईओ को लिखित शिकायतें साक्ष्य सहित दी थीं। लेकिन कार्रवाई सिर्फ “कारण बताओ नोटिस” तक सीमित रही। आरोप है कि जीआरएस न तो पंचायत भवन में उपस्थित रहते हैं और न ही लाभार्थियों के कार्यों में कोई रुचि लेते हैं। यहां तक कि वे सरपंच के फोन तक रिसीव नहीं करते।
फर्जी मस्टररोल और बिल-वाउचर का आरोप
सोनकली सिंह ने बताया कि मजदूरों से कार्य कराने के बावजूद जीआरएस मस्टररोल पर उनके नाम नहीं चढ़ाते और अन्य फर्जी नाम दर्ज कर धन आहरित कर लेते हैं। इसके साथ ही पंचायत में आपूर्ति देने वाले स्थानीय बेंडरों की जगह सरई गांव के फर्जी बेंडरों के नाम से बिल लगाकर भुगतान किया गया है।
श्रमिकों को नहीं मिला पारिश्रमिक, मंत्री से लगायेंगे गुहार
पंचायत के दर्जनों श्रमिकों का कहना है कि उन्होंने वर्ष 2023 में चेक डेम और कुआं निर्माण जैसे कार्य किए थे, लेकिन डेढ़ साल से उनका भुगतान नहीं हुआ। अब वे पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल से शुक्रवार को उनके प्रवास के दौरान मुलाकात कर पूरी समस्या से अवगत कराएंगे और जीआरएस को हटाने की मांग करेंगे।
प्रशासन पर उठे सवाल, न्याय की उम्मीदें धूमिल
ग्रामीणों का आरोप है कि जीआरएस पर कार्रवाई नहीं होने के पीछे राजनीतिक दबाव और जिला पंचायत सीईओ की मेहरबानी जिम्मेदार है। सरपंच की शिकायतों और मजदूरों की गुहार के बावजूद निष्क्रियता प्रशासन की संवेदनहीनता को उजागर कर रही है।
अब देखना होगा कि पंचायत मंत्री के दौरे के बाद इस प्रकरण में कोई न्यायिक पहल होती है या आदिवासी सरपंच और श्रमिकों की पीड़ा यूं ही अनसुनी रह जाती है।