एनसीएल की दोहरी नीति के खिलाफ मोरवा में विस्थापितों का हुंकार, 15 मई को होगी विशाल आमसभा
पूर्व विधायक राम लल्लू वैश्य के नेतृत्व में उठेगी विस्थापितों की आवाज
सिंगरौली। मोरवा क्षेत्र में एनसीएल (नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) द्वारा किए जा रहे भूमि अधिग्रहण को लेकर सरकारी, वन और एग्रीमेंट भूमि पर बसे लोगों में गहरा आक्रोश है। विस्थापित परिवारों का आरोप है कि उन्हें उचित मुआवजा नहीं दिया जा रहा, और एनसीएल दोहरी नीति अपना रही है। इसे लेकर पूर्व विधायक राम लल्लू वैश्य के नेतृत्व में 15 मई को मोरवा बस स्टैंड स्थित फल मंडी के पास शाम 4 बजे एक विशाल आमसभा आयोजित की जाएगी।
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मोरवा से एनसीएल की मनमानी के खिलाफ उठेगी आवाज
पूर्व विधायक राम लल्लू वैश्य ने विस्थापितों की बात सुनने के बाद स्पष्ट किया कि वे इस अन्याय के खिलाफ पूरे मन से लड़ाई लड़ने को तैयार हैं। उन्होंने कहा, “यह महज एक सांकेतिक आमसभा नहीं होगी, बल्कि यदि एनसीएल ने विस्थापितों की मांगें नहीं मानीं, तो अगला कदम कोल डिस्पैच रोकना, माइंस बंद करना और एनसीएल कार्यालय को घेरना होगा।”
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अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ने दिया समर्थन
अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं अपराध नियंत्रण संगठन के राष्ट्रीय महासचिव अमित तिवारी ने बताया कि इस लड़ाई की शुरुआत से ही पूर्व विधायक वैश्य ने विस्थापितों की पीड़ा को मंच दिया है। उन्होंने कहा, “अब समय आ गया है कि एनसीएल की दोहरी नीति के खिलाफ उग्र आंदोलन की रणनीति अपनाई जाए।”
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क्या है विस्थापितों की मांगें?
सरकारी और वन भूमि पर बसे लोगों को उचित मुआवजा मिले
एग्रीमेंट भूमि धारकों को भी वैध विस्थापित माना जाए
पुनर्वास में पारदर्शिता और समानता बरती जाए
स्थानीय रोजगार और सुविधाओं में प्राथमिकता मिले
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एनसीएल पर विस्थापितों का आरोप
प्रभावित परिवारों का कहना है कि एनसीएल कुछ चुनिंदा लोगों को मुआवजा और पुनर्वास का लाभ दे रही है, जबकि शेष को नजरअंदाज किया जा रहा है। “एक ही गली में दो घर—एक को मुआवजा मिला, दूसरे को नहीं। यह कैसा न्याय?”—यह सवाल अब हर विस्थापित की जुबान पर है।
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15 मई की सभा: आंदोलन की शुरुआत या समाधान की दस्तक?
सभी की नजरें अब 15 मई की आमसभा पर टिकी हैं। अगर एनसीएल समय रहते विस्थापितों की मांगों को लेकर कोई ठोस प्रस्ताव नहीं लाता, तो यह सभा भविष्य के बड़े आंदोलन का आधार बन सकती है।
पूर्व विधायक वैश्य और संगठन ने स्पष्ट कर दिया है कि इस बार विस्थापन की पीड़ा को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा।