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Akbar History: अकबर को मुगल साम्राज्य के सबसे सुलझे हुए शासकों में गिना जाता है। बेशक इतिहासकार कई जगहों पर अकबर को एक निरंकुश शासक के रूप में परिभाषित करते हैं, लेकिन इतिहासकार यह भी मानते हैं कि अकबर एकमात्र मुगल शासक था जिसने दरबारियों को अनुशासित किया और एक ऐसा प्रशासन स्थापित किया। लोगों के कल्याण के लिए था—Akbar History
मुग़ल सल्तनत के प्रशासन की समुचित देखरेख स्वयं सम्राट अकबर करते थे। इसके लिए वह 16 घंटे से ज्यादा काम करते थे। दरबारी इतिहासकार अबुल फज़ल के अनुसार अकबर की अपनी दिनचर्या थी, वह उसका नियमों के अनुसार पालन करता था और अपने दरबारियों तथा प्रशासन के उच्च अधिकारियों को भी इसका पालन कराता था। लापरवाही न हो इसके लिए वह सूर्योदय से दो घंटे पहले उठ जाते थे।
Jharokha Darshan with the first rays of the sun
अबुल फज़ल ने सम्राट अकबर की दिनचर्या का उल्लेख किया है। कहा जाता है कि अकबर सूर्योदय से दो घंटे पहले उठ जाते थे और स्नान-ध्यान के बाद सूर्य की पहली किरण के साथ लोगों को झरोखा दर्शन देते थे। उस समय तक अनेक स्त्री-पुरुष, व्यापारी, किसान तथा अन्य व्यापारी सम्राट को देखने के लिए वहाँ एकत्र होते थे।
हरम का निरीक्षण, भोजन फिर विश्राम
दीवान-ए-आम में बैठक के बाद अकबर हरम का निरीक्षण करते थे और महल के अन्य अधिकारियों से बात करने के बाद दोपहर की नमाज़ पढ़ते थे और भोजन के बाद कुछ देर आराम करते थे। दोपहर को जागने के बाद वह जानवरों का निरीक्षण करने निकल जाता था।
शाम को दरबार दीवान-ए-खास सजाया गया
जानवरों का निरीक्षण करने के बाद, अकबर दीवान-ए-खास में दरबार लगाते थे, जहाँ राज्य के महत्वपूर्ण मामलों पर चर्चा की जाती थी, शाम की प्रार्थना के बाद वह फिर से विद्वानों के साथ बातचीत करते थे, जिसके बाद वे मनोरंजन में कुछ समय बिताते थे। रात की आखिरी प्रार्थना के बाद वह शयनगृह में चले जाते थे। अकबर इस दिनचर्या का सख्ती से पालन करता था और दरबारियों के साथ भी ऐसा करता था।