एनजीटी में यूका के कचरे का मामला खत्म
Bhopal News: NGT ने यूनियन कार्बाइड (यूका) के कचरे के संबंध में हाईकोर्ट(High Court) में मामला चलने का हवाला देकर दायर याचिका(petition) को निराकृत कर दिया। राज्य सरकार ने अंडरटेकिंग(undertaking) दी है कि प्रशासन(Administration) यूका के कचरे के मानव और पर्यावरण पर होने वाले प्रभावों व संबंधित इकाई की ओर से अपनाई जा रही कचरे की डिस्पोजल प्रक्रिया के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए उद्योगों और क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय लोगों से संवाद कर रहा है। लोगों को जागरूक किया जा रहा है। वैज्ञानिक रिपोर्ट(scientific report) भी सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट(Supreme Court and High Court) में पेश की जा चुकी है। जरूरत पर जिला प्रशासन(district administration) किसी को भी यह Report उपलब्ध करा सकता है।
एनजीटी सेंट्रल जोन बेंच(NGT Central Zone Bench) ने शुक्रवार को इस संबंध में आदेश पारित किया। जबलपुर(Jabalpur) के पीजी नाजपांडे ने याचिका में मांग की थी कि यह कचरा जहरीले रसायन मिथायल आइसोसायनेट(Toxic chemical methyl isocyanate) का है इसलिए निस्तारण के संबंध में जो भी वैज्ञानिक अध्ययन हुआ है, उसे जनता के सामने रखा जाए। मुख्य सचिव व धार नगर निगम कमिश्नर शपथ-पत्र दें कि इस कचरे के जलाने से मानवीय स्वास्थ्य और वायु, जल व मृदा को नुकसान नहीं होगा। राज्य शासन के वकील प्रशांत हरने ने जवाब दिया कि यूका के कचरे का निपटान हाईकोर्ट के निर्देशानुसार किया जा रहा है। मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जवाब पेश किया कि पहले यूका का 10 टन कचरा सुप्रीम कोर्ट के निर्देशन में पीथमपुर में जलाया गया है। इसके वैज्ञानिक अध्ययन की रिपोर्ट सुप्रीम और हाईकोर्ट में दी गई है। राज्य शासन के वकील ने कहा, NGT से officers से शपथ-पत्र देने का निर्देश देने की मांग एनजीटी एक्ट में नहीं है। सरकार यूका कचरे के निपटान के संबंध में जागरूकता के प्रयास कर रही है। जरूरी हुआ तो प्रशासन सेमिनार के जरिए संबंधित व्यक्ति को वैज्ञानिक रिपोर्ट देगा।