इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर जीपीएस सिग्नल से छेड़छाड़ का मामला सामने आया : पायलटों को रनवे पर खेत दिखाई दिए; 800 उड़ानें बाधित, भयंकर हादसा टला ।
New Delhi, November 10: दिल्ली (Delhi) के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (international airport) (IGIA) पर दो दिन पहले 800 से ज़्यादा उड़ानें बाधित (more flights disrupted) होने के मामले में एक बड़ा खुलासा (big reveal) हुआ है। जाँच में पता चला है कि GPS (ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम) सिग्नल से छेड़छाड़ (Tampering) की साज़िश (conspiracy) रची गई थी। 6 और 7 नवंबर के बीच, पायलटों (pilots) को GPS से फ़र्ज़ी सिग्नल (fake signal) मिल रहे थे, जिससे कॉकपिट स्क्रीन (cockpit screen) पर विमान की स्थिति बदल (change the situation) गई और पायलटों (pilots) को रनवे की बजाय खेत दिखाई (showed the field instead) देने लगे।
GPS से छेड़छाड़ (Tampering) के कारण ATS (एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल) से संदेश मिलने (receive message) में भी देरी हुई, जिससे हवाई क्षेत्र (airfield) में विमानों (planes) के बीच की दूरी बढ़ानी पड़ी और कई विमानों (planes) को जयपुर डायवर्ट (divert) करना पड़ा। वहीं, 7 नवंबर को ATC का AMSS (ऑटोमैटिक मैसेज स्विच सिस्टम) भी फेल (failed) हो गया, जिससे 12 घंटे से ज़्यादा समय तक परिचालन प्रभावित (operations affected) रहा। अचानक (Suddenly) हुई इस खराबी की उच्च-स्तरीय जाँच (check) शुरू कर दी गई है, जिसके साइबर हमले (cyber attacks) या किसी बाहरी ताकत (external force) की वजह से होने का संदेह (Doubt) है।
विशेषज्ञों (experts) के अनुसार, हाल के महीनों में देश में नागरिक विमानों के जीपीएस (civilian aircraft GPS) से छेड़छाड़ के 465 से ज़्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। ऐसे खतरों से निपटने के लिए, विशेषज्ञों ने इसरो द्वारा विकसित स्वदेशी (developed indigenous) उपग्रह प्रणाली ‘नाविक’ के इस्तेमाल (use) पर ज़ोर दिया है। उनका मानना है कि अगर ‘नाविक’ का इस्तेमाल होता, तो दिल्ली हवाई अड्डे (Delhi Airport) की इस घटना को रोका जा सकता था, क्योंकि यह पूरी तरह से भारत के नियंत्रण (control of india) में है।







