कठिनाइयों से लड़ना सिखाया, पिता हमेशा रहे मार्गदर्शक

By Awanish Tiwari

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कठिनाइयों से लड़ना सिखाया, पिता हमेशा रहे मार्गदर्शक
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रीवा. आज हम जो कुछ भी हैं और जो भी बच्चों, परिवार और समाज के लिए कर पा रहे हैं उसमें कहीं न कहीं पिता का बहुत अहम रोल है। कई बार पिता हमारे आदर्श होते हैं तो कई बार हमारे मार्गदर्शक। पिता, बच्चों का सुरक्षा कवच होते हैं इसलिए उनको कठोर होना ही पड़ता है। पिता की डांट, सलाह, रोकटोक और नाराजगी, आज के दौर के बच्चों को सती लगती है लेकिन यही सीख बच्चों को न सिर्फ मजबूत बना देती है बल्कि उन्हें जिंदगी में आने वाली कठिनाइयों से लडऩा भी सिखाती है।

जिंदगी की जिस सडक़ पर बच्चे चल रहे होते हैं उस सडक़ पर चलने का अनुभव और आने वाली चुनौतियों का अहसास एक पिता को बखूबी होता है। इसलिये पिता की सीख और मार्गदर्शन बच्चों के लिए बहुत निर्णायक होता है। बच्चों का अपने पिता से एक भावनात्मक लगाव होता है इसलिये जब तक पिता का हाथ सिर पर रहता है तब तक बच्चे बेफिक्री महसूस करते है। वो पापा ही होते हैं जो बचपन में साइकिल का कैरियर पकडकऱ पीछे-पीछे दौड़ लगाते हैं और सिखाकर ही दम लेते हैं।

जिस परिवार के हर सदस्य में एक-दूसरे पर अटूट विश्वास और समर्पण की भावना हो और इसके लिए एक पिता की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि पिता बच्चों को हर बुराइयों से न केवल बचाते हैं बल्कि उनको एक सुनहरा भविष्य और खुला आसमान देते हैं, जिसमें वे पंख फैलाकर उड़ान भर सकते हैं।

डॉ. हरिओम गुप्ता, प्रोफेसर मेडिसीन, मेडिकल कॉलेज रीवा

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