पॉस्को एक्ट में धारा 43 व 44 के प्रावधान पर केन्द्र व राज्य सरकार से मांगा जवाब
जबलपुर। नाबालिग बच्चियों के साथ यौन उत्पीडन व अपराध वृध्दि पर हाईकोर्ट ने चिंता जाहिर की है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत तथा जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने मामले को संज्ञान में लेते हुए केन्द्र व राज्य सरकार सहित अन्य को नोटिस जारी करते हुए पॉस्को एक्ट की धारा 43 व 44 में उपलब्ध प्रावधानों पर की गयी कार्यवाही के संबंध में जवाब मांगा है।
युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण विधेयक संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया, जिसे 19 जून 2012 को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली और इसे 14 नवम्बर 2012 से यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 के रूप में क़ानून में शामिल हो गया। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की तीनों पीठों में कुल 14531 आपराधिक अपील लंबित हैं। यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 के दंडात्मक प्रावधानों के तहत दोषसिद्धि के खिलाफ उच्च न्यायालय में दायर आपराधिक अपीलों की सुनवाई करते हुए हमने पाया है कि 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न और अपराधों में पर्याप्त वृद्धि हुई है।
अपराधों में इतनी वृद्धि का मुख्य कारण पाक्सो एक्ट के प्रावधानों के बारे में जागरूकता की कमी है। पाक्सो अधिनियम की धारा 43 के तहत केन्द्र सरकार और राज्य सरकार का यह दायित्व है कि इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत नियमित अंतराल पर व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करने हर संभव कदम उठाएँ। जिससे आम जनता, बच्चों के साथ-साथ उनके माता-पिता और अभिभावकों को अधिनियम के प्रावधानों के बारे में जानकारी हो सके। इसके अलावा पुलिस अधिकारियों सहित संबंधित व्यक्तियों को अधिनियम के प्रावधानों के कार्यान्वयन से संबंधित मामलों पर समय-समय पर प्रशिक्षण दिये जाने का प्रावधान है।
युगलपीठ ने अपने आदेश में धारा 44 के तहत राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा पोक्सो अधिनियम के कार्यान्वयन पर निगरानी का प्रावधान है। न्यायालय ने इस मामले को इसलिए संज्ञान में लिया है कि केन्द्र सरकार और मध्य प्रदेश सरकार से पूछा जा सके कि पोक्सो अधिनियम और उसके तहत बनाए गए नियमों के कार्यान्वयन के संबंध में धारा 43 और 44 के तहत क्या कदम उठाए गए हैं।
युगलपीठ ने केन्द्रीय सचिव महिला एवं बाल विकास विभाग, प्रदेश के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव महिला एव बाल विकास, पुलिस महानिदेशक, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग तथा राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, मध्य प्रदेश को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।