सिंगरौली का इतिहास: ऋषि श्रृंगी की तपोभूमि ‘श्रृंगवल्ली’ से ‘उर्जांचल’ तक

By Awanish Tiwari

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सिंगरौली का इतिहास: ऋषि श्रृंगी की तपोभूमि ‘श्रृंगवल्ली’ से ‘उर्जांचल’ तक

History of Singrauli सिंगरौली, जिसे आज मध्यप्रदेश का “उर्जांचल” कहा जाता है, ऊर्जा उत्पादन और खनिज संसाधनों के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इस आधुनिक औद्योगिक नगर की जड़ें प्राचीन आध्यात्मिक इतिहास से जुड़ी हुई हैं।

🔱 नामकरण: श्रृंगवल्ली से सिंगरौली

प्राचीन काल में सिंगरौली को ‘श्रृंगवल्ली’ कहा जाता था। यह नाम ऋषि श्रृंगी से जुड़ा हुआ है, जिनकी यह तपोभूमि थी। ऋषि श्रृंगी वेद और तप साधना में निपुण माने जाते हैं और रामायण तथा पुराणों में भी इनका उल्लेख मिलता है।

📚 पुराणों में उल्लेख

स्कंद पुराण में सिंगरौली को घने वनों से आच्छादित प्राकृतिक खनिजों से भरपूर क्षेत्र के रूप में वर्णित किया गया है। यह क्षेत्र उन ऋषियों का निवास स्थान रहा जो तप, ध्यान और साधना में लीन रहते थे।

🏰 इतिहासिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि

  • रीवा रियासत का हिस्सा रहा यह इलाका बघेलखंड क्षेत्र के अंतर्गत आता था।

  • उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले से सिंगरौली की सीमा जुड़ी हुई है, जो इसे भूगोल और संस्कृति दोनों दृष्टि से विशेष बनाता है।

⚡ वर्तमान में सिंगरौली

आज का सिंगरौली देश के सबसे बड़े ऊर्जा उत्पादक जिलों में से एक है। इसे “ऊर्जांचल” नाम मिला क्योंकि यहाँ थर्मल पॉवर प्लांट्स, कोल माइन्स और NTPC जैसी बड़ी परियोजनाएं स्थित हैं।


सिंगरौली केवल एक औद्योगिक हब नहीं, बल्कि प्राचीन संस्कृति, आध्यात्मिकता और इतिहास का जीवंत प्रमाण है। इसका नाम केवल भूगोल नहीं, बल्कि एक ऋषि परंपरा की विरासत भी समेटे हुए है।

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