अंदर की कहानी: अकबर के हरम में कैसा था जीवन और अनुशासन

By Awanish Tiwari

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अंदर की कहानी: अकबर के हरम में कैसा था जीवन और अनुशासन

दिल्ली: मुग़ल सम्राट अकबर का शासन जितना विशाल और प्रभावशाली था, उतनी ही रहस्यमयी थी उसकी हरम व्यवस्था। जब हम ‘हरम’ शब्द सुनते हैं तो आमतौर पर एक विलासिता भरी जगह की कल्पना करते हैं, लेकिन हकीकत में अकबर का हरम सिर्फ शाही आरामगाह नहीं, बल्कि कड़ी अनुशासन, सामाजिक व्यवस्था और राजनीतिक समझदारी का उत्कृष्ट उदाहरण था।

अंदर से यह हरम एक छोटे साम्राज्य जैसा था, जिसमें हजारों महिलाएं रहती थीं — लेकिन हर कदम, हर व्यवहार और हर नियम एक सुव्यवस्थित प्रशासनिक प्रणाली के अंतर्गत चलता था।

हरम का जीवन: भव्यता के भीतर अनुशासन

अकबर के हरम में करीब 5000 महिलाएं थीं, जिनमें रानियाँ, रखैलें, दासियाँ, नर्तकियाँ, संगीतकाराएं और सेविकाएं शामिल थीं। इनमें से हर एक की भूमिका निर्धारित थी और हर महिला का स्थान व कार्य स्पष्ट रूप से परिभाषित था।

मुख्य रानियाँ जैसे रूकीया बेगम, सलीमा सुल्तान बेगम आदि को विशेष अधिकार प्राप्त थे।

रखैलें (Concubines) विशेष सेवा में रहती थीं और कई बार राजा की संतानें भी उन्हीं से होती थीं।

दासियाँ और सेविकाएं हरम की देखरेख, खानपान, सफाई, वस्त्र व्यवस्था, मनोरंजन और सुरक्षा आदि का संचालन करती थीं।

हरम में विद्वान महिलाएं भी थीं जो साहित्य, संगीत और धर्म के क्षेत्र में पारंगत थीं।

प्रशासनिक संरचना: हरम में भी चलता था एक ‘मिनी सरकार’

हरम का संचालन एक साधारण घर की तरह नहीं होता था, बल्कि यह व्यवस्थित नौकरशाही ढांचे पर आधारित था:

मुख्य प्रभारी: महलदार बेगम – ये वह महिला होती थी जो हरम की प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी होती थीं।

सुरक्षा व्यवस्था: हरम की सुरक्षा के लिए खासे (हिजड़े) तैनात किए जाते थे। वे हरम की महिलाओं की सुरक्षा, प्रवेश-निषेध और नियमों के पालन की निगरानी करते थे।

हरम की सीमाएं: हर महिला का रहन-सहन, आवागमन, भोजन, वस्त्र और मिलन-अवसर समय और नियम के अनुसार निर्धारित होता था।

रोज़मर्रा का जीवन: परंपरा, भक्ति और अनुशासन का मिश्रण

हरम में दिनचर्या बहुत सुव्यवस्थित होती थी:

सुबह की शुरुआत इबादत (नमाज़) या पूजा से होती थी (हिंदू रानियों को भी धार्मिक स्वतंत्रता थी)।

उसके बाद शिक्षण, सिलाई, बुनाई, संगीत अभ्यास, या साहित्य चर्चा जैसी गतिविधियाँ होती थीं।

कुछ महिलाएं राजकीय मामलों पर भी सलाह देती थीं, विशेषकर वरिष्ठ रानियाँ।

महिलाओं को शाही संस्कार, शिष्टाचार और कलात्मक ज्ञान सिखाया जाता था।

राजनीति में भी प्रभावशाली था हरम

हरम केवल मनोरंजन का केंद्र नहीं था, बल्कि कई बार यह राजनीतिक फैसलों पर भी असर डालता था।
रूकीया बेगम, सलीमा सुल्तान बेगम जैसी महिलाएं दरबारी मामलों में सलाह देती थीं। यह भी देखा गया है कि हरम के भीतर हुई बातचीतें अकबर के निर्णयों पर असर डालती थीं।

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