सिंगरौली: उप चेक पोस्टों पर “अवैध वसूली राज”, ट्रांसपोर्टरों ने दी आंदोलन की चेतावनी

By Awanish Tiwari

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सिंगरौली: उप चेक पोस्टों पर “अवैध वसूली राज”, ट्रांसपोर्टरों ने दी आंदोलन की चेतावनी

सिंगरौली | विशेष रिपोर्ट | अवनीश तिवारी
जिले के जयंत, खनहना, विंध्यनगर सहित अन्य उप चेक पोस्टों पर इन दिनों अवैध वसूली का गोरखधंधा चरम पर है। उप चेक पोस्ट प्रभारी अनिमेष जैन के कार्यभार संभालने के बाद से मनमानी और संगठित वसूली की शिकायतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। ट्रांसपोर्टर खुलकर आरोप लगा रहे हैं कि यह वसूली न केवल खुलेआम हो रही है, बल्कि एक ‘सिस्टमेटिक नेटवर्क’ के तहत अंजाम दी जा रही है।

‘सिस्टमेटिक वसूली मॉडल’: ट्रकों पर रात का कहर

सूत्रों और ट्रांसपोर्ट संगठनों के मुताबिक:

एक स्थायी वसूली टीम बनाई गई है, जिसमें 4-5 गुर्गे शामिल हैं, जो बैरियर पर तैनात रहते हैं।

बुलुरो वाहन (निजी गाड़ियाँ) लगाकर ट्रकों को रोका जाता है, फिर कागज़ों की जांच की आड़ में जबरन वसूली की जाती है।

दस्तावेज वैध होने के बावजूद ट्रकों को घंटों रोककर डराया-धमकाया जाता है।

खनहना बैरियर, जो अबतक केवल एक चेकिंग पॉइंट घोषित था, वहां भी यही वसूली प्रणाली चालू है।

चौंकाने वाली बात यह है कि कुछ बंद हो चुके बैरियर भी इस धंधे से अछूते नहीं हैं – वहां से भी रात के अंधेरे में वसूली की जा रही है।

 

ट्रांसपोर्टरों का फूटा गुस्सा, दी आंदोलन की चेतावनी

ट्रांसपोर्ट संगठनों का कहना है कि यदि जल्द ही कड़ी कार्रवाई नहीं की गई, तो वे विगत वर्ष की तरह विधानसभा घेराव, धरना-प्रदर्शन जैसे आंदोलनों की राह पर जा सकते हैं।

एक वरिष्ठ ट्रांसपोर्टर ने नाराज़गी जताते हुए कहा:
“हम वैध कागजों के साथ चलते हैं, फिर भी रोजाना की वसूली से परेशान हैं। ये प्रशासन की मिलीभगत के बिना नहीं हो सकता।”

 

प्रशासन से की गई मांगें: पारदर्शिता और कार्रवाई सुनिश्चित हो

ट्रांसपोर्ट यूनियनों ने प्रशासन और परिवहन विभाग से साफ शब्दों में ये मांगे रखी हैं:

1. उप चेक पोस्टों की निष्पक्ष जांच करवाई जाए।

2. बैरियरों पर तैनात गुर्गों की भूमिका और नियुक्ति प्रक्रिया की गहन समीक्षा की जाए।

3. सीसीटीवी कैमरे अनिवार्य रूप से लगाए जाएं और वसूली गतिविधियों की वीडियो निगरानी हो।

4. दोषियों पर एफआईआर दर्ज कर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।

अवैध वसूली से ट्रांसपोर्ट व्यवस्था चरमराई

सिंगरौली में इस तरह के गैरकानूनी वसूली सिस्टम से न केवल आर्थिक हानि हो रही है, बल्कि लॉ एंड ऑर्डर पर भी संकट खड़ा हो गया है। ट्रांसपोर्टरों के आक्रोश और आने वाले संभावित आंदोलन ने प्रशासन की नींद उड़ा दी है।

यदि समय रहते प्रशासन हरकत में नहीं आया, तो यह मामला बड़े जनविरोध और व्यवस्थागत संकट में बदल सकता है।
सवाल अब यह है कि प्रशासन कब जागेगा?

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