आदिवासी भूमि फर्जीवाड़े मामले में पाठक दंपत्ति को राहत नहीं
विशेष अदालत ने जमानत अर्जी की खारिज
Jabalpur News: अनुसूचित जाति- जनजाति अत्याचार निवारण प्रकोष्ठ के विशेष न्यायाधीश गिरीश दीक्षित की अदालत ने बहुचर्चित आदिवासी भूमि फर्जीवाड़ा प्रकरण के आरोपी जबलपुर निवासी गंगा पाठक व उनकी पत्नी ममता पाठक की अग्रिम जमानत अर्जी निरस्त कर दी है।अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक कृष्णा प्रजापति ने अग्रिम जमानत अर्जी पर आपत्ति दर्ज करायी। उन्होंने दलील दी कि मामला बेहद गंभीर प्रकृति का है।
आदिवासियों की भूमि कूटरचित तरीके से रजिस्ट्री(registry) कराए जाने का खेल खेला गया है। इस तरह के प्रकरण में आरोपियों को फरारी की स्थिति में अग्रिम जमानत का लाभ दिये जाने से समाज में गलत संदेश जाएगा। इसके अलावा एससी -एसटी एक्ट के विहित प्रावधान के अंतर्गत भी इस तरह के गंभीर प्रकृति के प्रकरणों में अग्रिम जमानत नहीं दी जानी चाहिए।
आरोपितों के विरुद्ध तिलवारा व बरगी थाने(Bargi police station) में अपराध पंजीबद्ध हुआ है। गिरफ्तारी की आशंका के मद्देनजर पति-पत्नी अग्रिम जमानत चाहते हैं। नियमानुसार इस तरह के प्रकरण में सरेंडर किये बिना अग्रिम जमानत के आवेदन पर विचार का प्रश्न नहीं उठता। अदालत ने सभी तर्क सुनने के बाद अग्रिम जमानत से इनकार करते हुए अर्जी निरस्त कर दी