Genome India Project: क्यों चर्चा में है जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट, आइए जानते हैं..

By Ramesh Kumar

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Genome India Project

Genome India Project: 27 फरवरी 2024 को जैव प्रौद्योगिकी विभाग  (Department of Biotechnology) को एक डेटाबेस बनाने के लिए विभिन्न समुदाय के 10,000 भारतीयों के जीनोम को अनुक्रमित किया गया है, और यह एक क्रांतिकारी कदम है, आगे और अधिक और दुर्लभ उत्परिवर्तन को पता लगाने के लिए हजारों नाम का नमूना लेने की जरूरत होगी भारत ने पहली बार 2016 में पूर्ण मानव जीनोम का अनुक्रमण किया गया और धीरे-धीरे इस प्रोजेक्ट पर सफलता मिल रही है, और इस प्रोजेक्ट के तहत हम अपने भारत के लिए एक बहुत ही अच्छा कार्य कर सकते हैं, उत्परिवर्तन का पता लगाकर एक सुरक्षित भविष्य निर्धारित किया जा सकता है.(Genome India Project)

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जीनोम अनुक्रमण-

जीनोम किसी जीव के डीएनए का पूरा सेट है, जिसमें उसके सभी जीन शामिल हैं।
जीनोम अनुक्रमण किसी जीव के जीनोम के संपूर्ण डीएनए अनुक्रम को निर्धारित करने की प्रक्रिया है।
जीनोम अनुक्रमण किसी जीव के डीएनए के भीतर न्यूक्लियोटाइड के अनुक्रम का पता लगाता है।
इसके अंतर्गत डीएनए में मौजूद चार आधारों – एडैनिन (ए), गुआनिन (जी), साइटोसिन (सी) और थाइमिन (टी) के अनुक्रम का आकलन किया जाता है।

जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट-

जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा अनुमोदित एक gene mapping परियोजना है।
इसे भारतीय आबादी के बीच आनुवंशिक भिन्नता का एक व्यापक डेटाबेस बनाने के लक्ष्य के साथ शुरू किया गया था।
इस परियोजना का लक्ष्य देश के विभिन्न क्षेत्रों से 10,000 से अधिक भारतीयों के जीनोम को अनुक्रमित करना और भारतीय आबादी के लिए एक संदर्भ जीनोम बैंक स्थापित करना है।
इसे भारतीय आबादी के आनुवंशिक वेरिएंट को समझने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है
जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट के उद्देश्य-

इस परियोजना के उद्देश्य मुख्यतः हैं;

भारत की जनसंख्या विविधता का अवलोकन करना
निदान पद्धतियों और चिकित्सीय परामर्श में सुधार
रोग के प्रति आनुवंशिक प्रवृत्तियों का पता लगाना
वैयक्तिकृत और शरीर के अनुकूल दवाओं का विकास करना
जीन थेरेपी में सुधार
संक्रामक रोगों के प्रति व्यक्तिगत संवेदनशीलता पर अधिक प्रकाश डालना
जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट की सफलताएँ-

भारत में करीब 20 संस्थाएं इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं.

भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर और सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी, हैदराबाद इस परियोजना का समन्वय करने वाले प्रमुख संस्थान हैं।
यह परियोजना मस्तिष्क अनुसंधान केंद्र में 20,000 रक्त नमूनों (जिनसे जीनोम अनुक्रमित किया गया था) का एक ‘बायोबैंक’ बनाकर और डेटा को ‘भारतीय जैविक डेटा केंद्र’ में संग्रहीत करके पूरा किया गया है।
सभी डेटा को जैव प्रौद्योगिकी विभाग के क्षेत्रीय जैव प्रौद्योगिकी केंद्र, फ़रीदाबाद में स्थापित भारतीय जैविक डेटा केंद्र में संग्रहीत किया जा रहा है।

मानव जीनोम परियोजना-

मानव जीनोम परियोजना एक सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित अंतर्राष्ट्रीय सहयोगात्मक अनुसंधान परियोजना है।
यह परियोजना वर्ष 1990 में अमेरिका द्वारा शुरू की गई थी, जिसे कई अन्य देशों का समर्थन प्राप्त हुआ।
यह प्रोजेक्ट साल 2003 में पूरा हुआ था.
इसका उद्देश्य मानव डीएनए बनाने वाले रासायनिक आधार युग्मों के अनुक्रम को निर्धारित करना और मानव जीनोम में सभी जीनों की पहचान करना और उनका मानचित्रण करना है।

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