पापमोचनी एकादशी 2025: व्रत कथा सुनने से मिलेगा पापों से छुटकारा, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Papmochani Ekadashi Vrat Katha 2025: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसे करने से पापों से मुक्ति मिलती है। चैत्र माह में आने वाली एकादशी को पापमोचनी एकादशी कहा जाता है, जिसका अर्थ है “पापों का नाश करने वाली एकादशी”। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त इस दिन सच्चे मन से व्रत रखते हैं और व्रत कथा सुनते हैं, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है और उनका जीवन सुखमय हो जाता है।
वैष्णव समुदाय के लिए यह एकादशी विशेष मानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है और कीर्तन व भजन का आयोजन भी होता है।
जानें शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ: 25 मार्च 2025, सुबह 5:05 AM
एकादशी तिथि समाप्त: 26 मार्च 2025, सुबह 3:45 AM
व्रत पारण (उपवास तोड़ने का समय): 26 मार्च 2025, सुबह 6:30 AM से 8:45 AM तक
पापमोचनी एकादशी व्रत कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार, प्राचीन काल में एक चैत्ररथ नामक वन था, जहां सदैव वसंत ऋतु का वास रहता था। इस वन में देवता और गंधर्व कन्याएं विहार किया करते थे। वहीं, एक ऋषि मेधावी भगवान शिव की कठोर तपस्या में लीन थे।
एक दिन मंजुघोषा नामक अप्सरा वहां से गुजर रही थी। उसने जब ऋषि मेधावी को तपस्या में लीन देखा, तो उनके रूप और तेज से प्रभावित होकर उन्हें मोहित करने की योजना बनाई। लेकिन ऋषि किसी भी तरह उसके जाल में नहीं फंसे।
इसके बाद कामदेव की सहायता से मंजुघोषा ने ऋषि मेधावी को मोहित कर लिया, जिससे वे भगवान शिव की तपस्या छोड़कर अप्सरा के साथ रमण करने लगे। यह सिलसिला 57 वर्षों तक चला, लेकिन ऋषि को समय का एहसास नहीं हुआ।
जब अप्सरा ने ऋषि से स्वर्ग लौटने की अनुमति मांगी, तो ऋषि को समझ आया कि वे अपनी तपस्या से विमुख हो गए हैं। क्रोधित होकर, उन्होंने मंजुघोषा को पिशाचिनी बनने का श्राप दे दिया। अप्सरा ने क्षमा याचना की, तब ऋषि ने उसे पापमोचनी एकादशी व्रत करने का सुझाव दिया। जब मंजुघोषा ने यह व्रत विधिपूर्वक किया, तो उसे श्राप से मुक्ति मिल गई। यही कारण है कि इस एकादशी को पापों से मुक्ति दिलाने वाली एकादशी कहा जाता है।