Lok Sabha Elections: न दिखा कोई बाहुबली- न दिखा आयोग का छड़ी, जानें कैसे अलग था इस बार यूपी का लोकसभा चुनाव?

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Lok Sabha Elections: लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024)  के नतीजे आज यानि मंगलवार को शाम तक आ जाएंगा, लेकिन सबकी निगाहें उत्तर प्रदेश पर हैं। देश में सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें यूपी में हैं और पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी तक यहां से सांसद चुने गए हैं। पीएम मोदी यूपी की वाराणसी सीट का भी प्रतिनिधित्व करते हैं. ऐसे में देश की सत्ता तय करने वाले यूपी की सियासी अहमियत को बखूबी समझा जा सकता है, लेकिन 2024 का लोकसभा चुनाव यूपी में पिछले चुनावों से कई मायनों में अलग है—Lok Sabha Elections

1977 के बाद से सबसे कम उम्मीदवार

आपातकाल के बाद उत्तर प्रदेश में 1977 के लोकसभा चुनाव में आजादी के बाद से सबसे कम संख्या में उम्मीदवार मैदान में उतरे थे। तब से, 2024 के चुनावों में सबसे कम उम्मीदवार मैदान में उतरे हैं। इस बार यूपी की 80 लोकसभा सीटों पर कुल 851 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. 2019 के चुनाव में 979 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था और 2014 के चुनाव में 1288 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई थी |

चुनाव आयोग ने काम नहीं किया

2024 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान खूब बयानबाजी और एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला, लेकिन इतने लंबे समय के बाद किसी भी नेता का प्रचार नहीं रोका गया बयानों के आधार पर. हालांकि इस बार नेता खुलकर बोलते नजर आए हैं.

1952 के बाद यह सबसे लंबा चुनाव

आजादी के बाद पहला लोकसभा चुनाव 1951-1952 में हुआ, जो अब तक का सबसे लंबा चुनाव था। इस बार 16 मार्च को आचार संहिता लागू हो गई और 1 जून तक सात चरणों में वोटिंग हुई और 4 जून को नतीजे आ रहे हैं. 1941-52 में चुनाव प्रक्रिया चार महीने से अधिक समय तक चली।

बाहुबली इस बार चुनाव मैदान में नहीं उतरे

उत्तर प्रदेश में बाहुबली नेताओं का दबदबा है, लेकिन इस बार कोई भी बाहुबली चुनाव नहीं लड़ सका. मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद जैसे बाहुबली नेताओं का निधन हो चुका है तो धनंजय सिंह से लेकर अक्षय प्रताप सिंह, ब्रिजेश सिंह, डीपी यादव और गुड्डु पंडित ने चुनाव से दूरी बनाए रखी. इसके अलावा बृजभूषण सिंह टिकट कटने के कारण चुनाव नहीं लड़ सके, जबकि रमाकांत यादव जेल में बंद होने के कारण चुनाव नहीं लड़ सके.

मुलायम-कल्याण-चौधरी के बिना चुनाव!

इस बार का चुनाव उत्तर प्रदेश की राजनीति के दिग्गज खिलाड़ियों के बिना हुआ है. यह पहला चुनाव था जब संभागीय राजनीति से उभरे बड़े नेताओं के बिना चुनाव हुआ। समाजवादी पार्टी नेता मुलायम सिंह यादव, बीजेपी नेता कल्याण सिंह, आरएलजी नेता अजित सिंह का निधन हो गया है. इन तीनों नेताओं की यूपी की राजनीति में अहम भूमिका थी. इसके अलावा यूपी में मुस्लिम राजनीति का चेहरा माने जाने वाले आजम खान जेल में बंद होने के कारण चुनाव में नहीं उतरे. सपा और कांग्रेस ने पहली बार गठबंधन के तहत लोकसभा चुनाव लड़ा।

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Ramesh Kumar
Author: Ramesh Kumar

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