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Jabalpur High Court : मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने खुली अदालत में मौखिक रूप से तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार बर्बरता के जरिए बिना मुआवजे के किसी की जमीन नहीं छीन सकती। इसके अलावा सरकार को जबलपुर निवासी याचिकाकर्ता शशि पांडे को उनकी जमीन के बदले वर्ष 1988 से अब तक प्रति माह 10,000 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया गया।
कोर्ट ने कहा कि इस अवधि में तैनात सभी कलेक्टरों से मुआवजे की उक्त राशि वसूल की जाए। यह रकम याचिकाकर्ता को दो महीने के भीतर चुकानी होगी। न्यायमूर्ति गुरपाल सिंह अहलूवालिया की एकल पीठ ने राज्य के मुख्य सचिव को आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने और उच्च न्यायालय के महासचिव के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
बायपास से लगी जमीन ली थी
याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी शशि पांडे की ओर से अधिवक्ता आरके सांघी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि 5 फरवरी 1988 को राज्य सरकार ने याचिकाकर्ता से अधारताल बायपास से लगी 29,150 वर्ग फीट जमीन ले ली थी।
इतने वर्षों तक मुआवजा भी नहीं दिया गया
याचिकाकर्ता को इस ज़मीन का कोई मुआवज़ा नहीं मिला और इतने सालों तक अधिग्रहण की कोई कार्रवाई नहीं की गई। इससे पहले भी एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें हाईकोर्ट ने 2006 में कलेक्टर को याचिकाकर्ता का मामला सुलझाने के निर्देश दिए थे। 2007 में तत्कालीन कलेक्टर ने आदेश पारित किया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। याचिकाकर्ता ने 2016 में दोबारा याचिका दायर कर मुआवजे की मांग की।