इंदौर. हाईकोर्ट (High Court) की डबल बेंच ने आज खनिज अधिकारियों पर लोकायुक्त में प्रकरण दर्ज करने के आदेश दिए है. हाईकोर्ट ने साथ ही टिप्पणी की है कि बिना खनिज अधिकारियों की मिलीभगत से इस तरह के कृत्य नहीं हो सकते है.
आज इंदौर हाईकोर्ट के जस्टिस विनय रूसिया और बिनोद कुमार द्विवेदी ने खदान आवंटन में फैसला सुनाते हुए कहा कि गैर कानूनी तरीके से खदान का लीज आवंटन, नवीनीकरण और विक्रय पूर्णतः अधिकारियों के सांठगांठ के बिना संभव नहीं है. ऐसे कृत्य के लिए भ्रष्टाचार नियम के तहत अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज की जाए. दरसासल मामला देपालपुर तहसील के रावद गांव के खसरे नंबर 33/1/4/3 और 33/1/4/4 पर स्थित खदान का लीज आवंटन किया गया था. उक्त खदान दीपक वर्मा को 1987 में खदान आवंटित की गई थी. उसके बाद 1998 में लीज नवीनीकरण और 2008 में सना खान को विक्रय कर दी गई. उक्त मामले में 33/1/4/3 खसरे की खदान 3.6 हैक्टेयर में आवंटित की थी.
सना खान ने दीपक वर्मा के दूसरे खसरे 33/1/4/4 में भी अवैध खनन कर लिया. इस मामले का अपर कलेक्टर गौरव बैनल को शिकायत की गई. बैनाल ने जांच करने आदेश दिए. जांच में सना खान ने 3.6 के जगह 5 हैक्टेयर से भी ज्यादा जमीन पर खनन कर शासन को राजस्व का नुकसान पहुंचाया. खनिज प्रभारी अपर कलेक्टर ने सना खान पर अवैध खनन और विक्रय को लेकर 29 करोड़ रुपए वसूली करने का प्रकरण बनाया. उक्त मामले में दोनों एक दूसरे की हाईकोर्ट में शिकायत कर याचिका लगाते रहे है. आज ही हाईकोर्ट डबल बेंच के जस्टिस विवेक रुसिया और विनय कुमार द्विवेदी ने फैसला सुनाते हुए खनिज अधिकारी पर लोकायुक्त में एफआईआर दर्ज करने और याचिकर्ताओं पर न्यायालय का समय बर्बाद करने को लेकर 50-50 हजार के कास्ट लगाई.
खनिज अधिकारियों का कारनामा
तत्कालीन अधिकारियों ने 1987 में जब खदान आवंटन की थी, उस दीपक वर्मा की उम्र 7 वर्ष बताई जा रही है. उनका जन्म 1980 में होना पाया गया है. एक बच्चे केडी एनएसएम से खदान आवंटन हो गई और कलेक्टर और विभागीय अधिकारियों को मालूम हो नहीं चला? यह अधिकारियों के बिना असंभव है, इसलिए कोर्ट में लोकायुक्त को एफआईआर करने के निर्देश दिए है.
MP BREAKING NEWS : विज्ञान प्रदर्शनी में दिखी नवाचार की झलक, छिन्दवाड़ा को प्रदेश में प्रथम स्थान