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MP BHOPAL NEWS (ईएमएस)।mission 2023 को फतह करने के बाद BJP mission 2024 में जुट गई है। पार्टी assembly elections की ही तरह Lok Sabha Elections लड़ेगी। इसके तहत पार्टी आचार संहिता (Code of conduct) लगने से पहले ही टिकटों क घोषणा करने की तैयारी कर रही है। सूत्रों का कहना है कि पार्टी के सर्वे में अब तक करीब दर्जन भर सांसदों का टिकट खतरे में है। ऐसे में पार्टी उनकी जगह नए चेहरों को मैदान में उतार सकती है।
भाजपा सूत्रों का कहना है कि assembly elections की तरह की आलाकमान लोकसभा चुनाव में चौंका सकता है। फरवरी में होने वाली केंद्रीय चुनाव समिति में कई ऐसे निर्णय लिए जाएंगे, जो चौंकाने वाले होंगे। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि जो नेता तीन या उससे ज्यादा बार सांसद रह चुके हैं, उन्हें इस बार लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया जाएगा। इसके साथ ही उन सांसदों का टिकट भी काटा जा सकता है, जिनका परफॉर्मेंस कमजोर है। सूत्रों का दावा है कि उम्मीदवार के चयन के लिए जो क्राइटेरिया बनाया है, उसके मुताबिक पार्टी नेतृत्व मौजूदा 11 सांसदों का टिकट काट सकता है। इनमें से पांच सांसद, विधायक बन चुके हैं। ऐसे में भाजपा 16 नए चेहरे मैदान में उतार सकती है।
10 सीटों पर स्थिति चिंताजनक
सूत्रों का कहना है कि भाजपा की लोकसभा चुनाव को लेकर हुई बैठक में वे सीटें सबसे ज्यादा चर्चा के केंद्र में रहीं, जहां भाजपा का विधानसभा चुनाव में कमजोर प्रदर्शन रहा है। पार्टी ने तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत सात सांसदों को विधानसभा चुनाव में टिकट दिया था। इनमें से 5 सीटों पर जीत मिली जबकि सतना सांसद गणेश सिंह और मंडला सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते चुनाव हार गए। 29 में से 10 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां विधानसभा चुनाव में भाजपा को कांग्रेस से कम वोट मिले। इसमें से 5 सीटों को डेंजर जोन में रखा गया है। जबकि अन्य 5 सीटें मौजूदा सांसदों के लिए खतरे की घंटी हैं। विधानसभा चुनाव में पार्टी का परफॉर्मेंस देखें तो आज की स्थिति में उसे चार लोकसभा सीटों का नुकसान हो रहा है। इनमें तीन पर भाजपा के मौजूदा सांसद हैं। एक कांग्रेस के पास है और एक पर भाजपा के नरेंद्र सिंह तोमर इस्तीफा दे चुके हैं। इसके अलावा पांच और सीटों पर भाजपा की बढ़त लोकसभा की तुलना में कम हुई हैं। ये सीटें ग्वालियर-चंबल, महाकौशल और मालवा अंचल की हैं।
इन क्षेत्रों में अधिक फोकस
भाजपा की रणनीति के अनुसार जिन लोकसभा सीटों पर अधिक फोकस करना हैं उनमेंछिंदवाड़ा, मुरैना, भिंड, ग्वालियर, मंडला, टीकमगढ़, बालाघाट, धार, खरगौन और रतलाम शामिल हैं। दरअसल, विधानसभा चुनाव के दौरान इन संसदीय क्षेत्रों में भाजपा का प्रदर्शन चिंताजनक रहा है। सूत्रों का कहना है कि मप्र विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव में भी भाजपा पुराने चेहरों को उतारने से परहेज करेगी। पार्टी की रणनीति के अनुसार जो नेता तीन या उससे अधिक बार सांसद रह चुके हैं, उन्हें आगामी लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया जाएगा। इसके साथ ही उन सांसदों के टिकट पर भी तलवार लटकी है, जिनका प्रदर्शन कमजोर है। विधानसभा चुनाव में पार्टी ने जिन हारी हुई सीटों पर चुनाव से काफी पहले प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया था, वहां पार्टी की कामयाबी का प्रतिशत 61 प्रतिशत रहा है। मप्र में विधानसभा चुनाव की घोषणा 8 अक्टूबर को हुई थी। जबकि पार्टी ने 39 सीटों पर उम्मीदवार की पहली सूची 17 अगस्त को जारी कर दी थी। ये वो सीटें थी, जहां भाजपा को पिछले विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन इस बार 39 में से 24 सीटें भाजपा ने जीत ली। सूत्रों का कहना है कि विधानसभा के इस सक्सेस रेट को पार्टी लोकसभा में दोहराना चाहती है। उम्मीदवार का नाम चुनाव से पहले घोषित करने से न केवल पार्टी को फायदा मिला, बल्कि कमजोर सीटों पर उम्मीदवार को अपना फोकस बढ़ाने का भी मौका मिला।
संघ से जुड़े युवाओं को मिल सकता है मौका
जानकारों का कहना है कि जिन सीटों पर मौजूदा उम्मीदवार बदले जा सकते हैं, वहां पार्टी ऐसे नए चेहरे, खास तौर से उन युवाओं को चुनाव मैदान में उतार सकती है, जो संघ की विचारधारा से जुड़े हैं। दरअसल, पार्टी युवा और नए चेहरे मैदान में उतारकर विधानसभा चुनाव की तरह पीढ़ी परिवर्तन का संदेश देना चाहती है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने मप्र की 29 सीटों में से 28 सीटें हासिल की थीं। छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर उसे हार मिली थी। छिंदवाड़ा ऐसी सीट है जहां भाजपा को लंबे समय से जीत नसीब नहीं हुई है। 1997 में छिंदवाड़ा सीट पर हुए उपचुनाव में प्रदेश के पूर्व सीएम सुंदरलाल पटवा ने जीत दर्ज करवाई थी। इसके अगले ही साल 1998 में हुए लोकसभा चुनाव में एक बार फिर कमलनाथ ने ये सीट छीन ली। इस बार इस सीट को जीतने के लिए पार्टी काफी पहले से तैयारियां शुरू करने के मूड में है।
विधायकों सहित हारे नेताओं पर भी दांव
पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के मुताबिक 2024 का चुनाव भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ेगी। इसके अलावा पार्टी कई प्रयोग भी करने जा रही है। पार्टी चुनावी मैदान में बड़े नेताओं को उतार सकती है। इस फेहरिस्त में कई राज्यों के पूर्व मुख्यमंत्री व मंत्री और राज्यसभा के लिए चुने गए सांसद भी शामिल हैं। मध्यप्रदेश से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह को लोकसभा चुनाव का टिकट दिया जा सकता है। शिवराज सिंह चौहान को विदिशा या भोपाल लोकसभा सीट से टिकट दिया जा सकता है। ऐसा ही प्रयोग भाजपा महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक में भी करने की तैयारी में है। 2024 के लोकसभा चुनाव में ऐसे मंत्रियों को भी टिकट दिया जा सकता है, जो फिलहाल राज्यसभा में हैं। इसके संकेत पीएम नरेंद्र मोदी ने संसदीय दल की बैठक में दे दिए थे। ऐसे में मप्र से राज्यसभा पहुंचे मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को उनके गृह राज्य ओडिशा से चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है। जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया को ग्वालियर या गुना-शिवपुरी सीट से उम्मीदवार बनाया जा सकता है।