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भोपाल. विदेश में महुआ निर्यात की बंद हो चुकी उमीदें फिर जागी हैं। अबकी बार फ्रांसीसी कंपनी ने मध्यप्रदेश का महुआ मांगा है। सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही डील हो सकती है। यदि मध्यप्रदेश का महुआ एक बार विदेशी धरती पर पहुंचा तो भविष्य में हमेशा के लिए निर्यात के द्वार खुल जाएंगे। फायदा महुआ एकत्र कर जीवनयापन करने वाले आदिवासी परिवारों को होगा, इन्हें ज्यादा दाम मिलेंगे। सरकार का राजस्व बढ़ेगा।
मध्यप्रदेश में आदिवासी समाज का एक बड़ा हिस्सा महुआ है। सरकार ने कुछ वर्ष पहले महुआ का आदर्श मूल्य 35 रुपए प्रति किलो तय किया था। हालांकि समय-समय पर खुले बाजार में इससे भी महंगा बिकता है। इन दिनों संघ और वन विभाग की जिला इकाइयां महुआ का उपयोग लड्डू, बिस्किट समेत कई तरह के ड्राई फ्रूट बनाने में कर रही हैं, जबकि पूर्व से लोग महुआ का उपयोग खाने में करते रहे हैं। यह कई दृष्टि से स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद बताया जाता है। व्यावसायिक के तौर पर शराब बनाने में भी इसका उपयोग होता है।
दो साल पहले ब्रिटिेश कंपनी से लघु वनोपज संघ की डील हुई थी। कंपनी ने महुआ पसंद किया और 70 लाख का भुगतान भी कर दिया। मप्र से महुआ नागपुर के निजी गोदाम में रखवा लिया। बाद में कंपनी ने लघु वनोपज संघ से भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण की रिपोर्ट मांग ली थी जो कि संघ ने उपलब्ध नहीं कराई। संघ के प्रबंध संचालक बिभाष ठाकु़र ने पत्रिका से कहा कि संघ को कभी रिपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ी, इसलिए जांच नहीं कराई। अब नमूने भेजेंगे, ताकि रिपोर्ट उपलब्ध कराई जा सके।
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